महाराष्ट्र सरकार ने ‘लव जिहाद’ और जबरन धर्मांतरण के मामलों पर विस्तृत अध्ययन और कानून की संभावनाओं को लेकर एक सात-सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) करेंगे।
समिति में कौन-कौन शामिल?
📌 DGP (पुलिस महानिदेशक) – अध्यक्ष
📌 गृह विभाग के उप सचिव
📌 महिला एवं बाल कल्याण विभाग के सचिव
📌 अल्पसंख्यक मामलों के सचिव
📌 कानून एवं न्यायपालिका विभाग के सचिव
📌 सामाजिक न्याय एवं विशेष सहायता विभाग के सचिव
👉 समिति राज्य में जबरन धर्मांतरण की मौजूदा स्थिति, कानूनी पहलुओं और अन्य राज्यों में लागू कानूनों का अध्ययन करेगी।
समिति के मुख्य उद्देश्य:
✅ राज्य में ‘लव जिहाद’ और जबरन धर्मांतरण के मामलों का अध्ययन करना।
✅ अन्य राज्यों में लागू समान कानूनों की समीक्षा करना।
✅ महाराष्ट्र में ऐसे मामलों को रोकने के लिए नए कानून की सिफारिश करना।
सरकार और विपक्ष की प्रतिक्रिया:
मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा (BJP):
“पूरे देश में ‘लव जिहाद’ के मामले बढ़ रहे हैं। हमने श्रद्धा वॉल्कर जैसी घटनाओं को देखा है। यह अच्छा है कि सरकार ने इस पर कार्रवाई की है।”
हुसैन दलवई (कांग्रेस):
“‘लव जिहाद’ जैसा कुछ होता ही नहीं है। यह केवल देश के सामाजिक ताने-बाने को बिगाड़ने की कोशिश है।”
अन्य राज्यों में क्या है स्थिति?
- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक और गुजरात में धर्मांतरण विरोधी कानून पहले से लागू हैं।
- इन राज्यों में बलपूर्वक, धोखे से या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराने पर कठोर सजा का प्रावधान है।
- महाराष्ट्र में ऐसा कानून बनाने पर विचार हो रहा है, जिसकी रिपोर्ट समिति के अध्ययन के बाद पेश की जाएगी।
निष्कर्ष
महाराष्ट्र सरकार का यह कदम ‘लव जिहाद’ और जबरन धर्मांतरण पर कानूनी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि, इस पर सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच तीखी बहस भी छिड़ी हुई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि समिति की रिपोर्ट क्या सुझाव देती है और सरकार इस पर क्या कदम उठाती है।