महाराष्ट्र में 14 दिसंबर को संभावित मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर बड़ी तैयारियां हो रही हैं। यह विस्तार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना और अजीत पवार गुट की एनसीपी के बीच हुए गठबंधन की शक्ति संतुलन को दर्शाता है।
संभावित मंत्रिमंडल विस्तार की मुख्य बातें:
- भाजपा:
- करीब 20 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
- यह संख्या भाजपा की मजबूत स्थिति और पार्टी की संगठनात्मक प्राथमिकताओं को दर्शाती है।
- एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना:
- 12 विधायक मंत्री बनाए जा सकते हैं।
- शिंदे गुट का मंत्रिमंडल में संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा रहा है।
- अजीत पवार गुट की एनसीपी:
- 10 विधायक मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
- यह अजीत पवार के प्रभाव और उनकी पार्टी की स्थिति को मजबूत करता है।
यह मंत्रिमंडल विस्तार आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए सभी गठबंधन दलों की रणनीतिक प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करता है। इसके जरिए क्षेत्रीय संतुलन, जातिगत समीकरण, और संगठनात्मक मजबूती पर जोर दिया जाएगा।
महाराष्ट्र की राजनीति में यह विस्तार गठबंधन की स्थिरता और भविष्य की योजनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
मुख्यमंत्री के पास रहेगा गृह मंत्रालय
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपने पास गृह मंत्रालय रख सकते हैं। डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के पास शहरी विकास मंत्रालय और अजित पवार के पास वित्त मंत्रालय रहेगा। किस पार्टी के खाते में कौन सा मंत्रालय जाएगा लगभग सहमति बन गई है। पोर्टफोलियो के संदर्भ में तीनों पार्टियां यथास्थिति बनाए रखने की दिशा में आगे बढ़ सकती हैं। यानी चुनाव से पहले उनके पास मौजूद शीर्ष पोर्टफोलियो बरकरार रहेंगे, अन्य विभागों में मामूली बदलाव होंगे। जहां फड़णवीस के पास गृह मंत्रालय रहेगा, वहीं वित्त मंत्रालय एक बार फिर अजीत पवार के पास जाएगा।
जानिए किस पार्टी को क्या विभाग मिलेगा
अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी मजबूत है इसलिए, भाजपा के पास गृह, आवास, राजस्व, सामान्य प्रशासन विभाग, कानून और न्यायपालिका, ग्रामीण विकास, बिजली, जल संसाधन, आदिवासी कल्याण, ओबीसी और उच्च और तकनीकी शिक्षा बरकरार रखने की संभावना है। शिवसेना के हिस्से में प्रमुख विभागों में शहरी विकास, स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य, उद्योग और लोक निर्माण विभाग शामिल हैं। एनसीपी के पास वित्त, सहयोग, कृषि, खाद्य एवं औषधि प्रशासन और महिला एवं बाल कल्याण होंगे। महायुति के सूत्रों ने संकेत दिया कि जहां सेना को उसकी इच्छा से एक विभाग कम मिला, वहीं एनसीपी की मांग 10 विभागों की थी, जो उसे मिल गया है।
एकनाथ शिंदे विधान परिषद अध्यक्ष पद भी चाह रहेः सूत्र
अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि शिवसेना राज्य विधान परिषद के अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी पर दबाव बना रही। हालांकि, भाजपा के भीतर एक बड़े वर्ग का मानना है कि सबसे अधिक सीटों वाली पार्टी होने के नाते उसे विधान परिषद अध्यक्ष सहित प्रमुख संवैधानिक पदों पर समझौता नहीं करना चाहिए। बता दें कि बीजेपी के पास 132 विधायक, शिवसेना शिंदे गुट के पास 57 और एनसीपी अजीत गुट के 41 विधायक हैं।