महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने शनिवार को दावा किया कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं होते तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अयोध्या राम मंदिर का निर्माण नहीं हो पाता. आगामी लोकसभा चुनावों के लिए पीएम मोदी को बिना शर्त समर्थन की घोषणा करने वाले राज ठाकरे ने पत्रकारों से कहा कि एमएनएस उन नेताओं की एक सूची तैयार करेगी, जिनसे ‘महायुति’ गठबंधन चुनाव समन्वय के लिए संपर्क कर सकता है. हालांकि, राज ठाकरे इस सवाल को टाल गए कि क्या वह महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा, शिवसेना और एनसीपी के गठबंधन महायुति के लिए रैलियों को संबोधित करेंगे.
“मोदी को दोबारा पीएम बनना चाहिए”
मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने आगे कहा, धारा 370 हो, राम मंदिर हो या एनआरसी… कई दशकों से राम मंदिर का काम रुका हुआ था। उस काम को कोई पूरा नहीं कर सका लेकिन मोदी सरकार ने कर दिखाया। अगर पीएम मोदी नहीं होते तो राम मंदिर नहीं बनता। नरेंद्र मोदी को दोबारा पीएम बनना चाहिए। मोदी सरकार ने भारत की प्रगति के लिए कई अहम कदम उठाए हैं।” राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र के लिए जो भी योजनाएं महत्वपूर्ण होंगी हम उन्हें मोदी सरकार के सामने पेश करेंगे। पीएम मोदी ने कभी भी किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया है। वह गुजरात से हैं और उन्हें गुजरात से प्यार है, लेकिन वह सभी राज्यों के लिए सही निर्णय लेते हैं। ठाकरे ने कहा कि आज की बैठक में, मैंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा है कि जहां भी संभव हो महायुति उम्मीदवारों का समर्थन करें।
मोदी को समर्थन देने के विरोध में मनसे नेताओं ने पार्टी छोड़ी
गौरतलब है कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कई पदाधिकारियों ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य में भाजपा नीत महायुति गठबंधन को समर्थन देने के विरोध में तीन दिन पहले पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। मनसे छोड़ने वालों में शामिल पार्टी महासचिव कीर्ति कुमार शिंदे ने सोशल मीडिया मंच फेसबुक पर अपने फैसले की जानकारी दी थी। बुधवार को सोशल मीडिया मंच पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा था कि मनसे प्रमुख ठाकरे ने 2019 में प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के खिलाफ रुख अपनाया था।
उन्होंने पोस्ट में लिखा कि आज पांच साल बाद राज साहेब ने देश के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण क्षण में अपनी राजनीतिक भूमिका बदल ली है। राजनीतिक विश्लेषक बताएंगे कि वह कितने गलत हैं और कितने सही। उन्होंने पोस्ट में कहा, “इनदिनों नेता जब चाहें, जो चाहें राजनीतिक भूमिका निभा सकते हैं। लेकिन लड़ाके (पार्टी कार्यकर्ताओं का संदर्भ) जो उनके विचारों पर भरोसा करते हैं, कुचल दिये जाते हैं। इसका क्या?”
आज १३ एप्रिल २०२४ रोजी मुंबईत पक्षाच्या पदाधिकाऱ्यांशी संवाद साधल्यानंतर, माध्यमांशी देखील संवाद साधला. त्या संवादातील काही महत्वाचे मुद्दे
२०१४-२०१९ या काळात, मी नरेंद्र मोदी सरकारवर जी टीका केली ती व्यक्तिगत टीका नव्हती तर मुद्द्यांवरची टीका होती. आणि गेल्या ५ वर्षात ज्या… pic.twitter.com/LqBSdZ740m
— Raj Thackeray (@RajThackeray) April 13, 2024
मांग भी बता दी
राज ठाकरे ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण से संबंधित मामला 1992 से लंबित था, जब बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था. समर्थन देने के फैसले के बारे में बताते हुए कहा, “कुछ अच्छी चीजें होने की सराहना की जानी चाहिए. एक तरफ, एक अक्षम (नेतृत्व) है और दूसरी तरफ, मजबूत नेतृत्व है. इसलिए हमने नरेंद्र मोदी का समर्थन करने के बारे में सोचा.” पीएम मोदी के समर्थन पर “खामियां निकालने” के लिए अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) पर पलटवार करते हुए मनसे प्रमुख ने कहा कि उनकी “आंखें पीलियाग्रस्त” हो गईं हैं. राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र के बारे में उनकी कुछ मांगें हैं, जिनमें मराठी को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देना और राज्य के किलों की देखभाल शामिल है. भाजपा को इस बारे में बताया जाएगा. उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि पीएम मोदी को गुजरात अधिक प्रिय है क्योंकि वह वहीं से आते हैं, लेकिन उन्हें इसी तरह अन्य राज्यों पर भी ध्यान केंद्रित करना चाहिए.