आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पुणे में दिए गए अपने भाषण में देश में संवाद, सह-अस्तित्व, और संविधान के महत्व पर जोर दिया। उनके वक्तव्य से कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निकलते हैं:
1. राम मंदिर निर्माण और आगे की दिशा:
- राम मंदिर:
उन्होंने राम मंदिर निर्माण को हिंदुओं की आस्था का केंद्र बताया।- राम मंदिर हिंदुओं की भक्ति का स्थान है और इसके निर्माण के बाद इस मुद्दे को और आगे बढ़ाने की आवश्यकता नहीं है।
- उन्होंने आगाह किया कि कुछ लोग नई जगहों पर इसी तरह के मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बनने की कोशिश कर सकते हैं, जो स्वीकार्य नहीं है।
- भविष्य के लिए संदेश:
- धार्मिक स्थानों को लेकर हर दिन नए विवाद खड़ा करने की प्रवृत्ति से बचने की जरूरत है।
- अतीत के द्वेष और तिरस्कार को छोड़कर भविष्य की ओर बढ़ने पर बल दिया।
2. संवाद और सह-अस्तित्व:
- सुसंवाद की आवश्यकता:
- भागवत ने कहा कि देश में सुसंवाद होना चाहिए, जहां सभी समुदायों और विचारधाराओं का सम्मान हो।
- अलग-अलग संप्रदायों और परंपराओं के विचार एक साथ रह सकते हैं और ऐसा करके दुनिया को सह-अस्तित्व का संदेश दिया जा सकता है।
- प्रयोग का सुझाव:
- उन्होंने कहा कि हमें अपने देश में सह-अस्तित्व का “प्रयोग” करना चाहिए ताकि यह दिखाया जा सके कि भारत विविधता में एकता का आदर्श है।
3. संविधान और लोकतंत्र का महत्व:
- संविधान से देश का संचालन:
- भागवत ने स्पष्ट किया कि भारत संविधान से चलता है और यहां किसी एक समुदाय या समूह का “राज” नहीं होता।
- जनता अपने प्रतिनिधि चुनती है और राज जनता का होता है।
- कट्टरपंथ का विरोध:
- उन्होंने कहा कि बाहरी कट्टरपंथी परंपराओं का प्रभाव नहीं चल सकता, क्योंकि भारत का शासन संविधान और लोकतंत्र के माध्यम से चलता है।
- कट्टरपंथी सोच को अस्वीकार कर सह-अस्तित्व और सहयोग पर जोर दिया।
4. सामाजिक समरसता का संदेश:
- मोहन भागवत ने यह भी कहा कि भूतकाल के विवाद और तिरस्कार को बार-बार उठाने से समाज में विभाजन बढ़ेगा।
- उन्होंने जोर दिया कि सद्भाव और संवाद से ही देश को आगे बढ़ाया जा सकता है।
कांग्रेस व शिवसेना ने दिया रिएक्शन
मोहन भागवत के बयान पर अब कांग्रेस के साथ-साथ शिवसेना के मंत्रियों ने भी अपनी राय दी है। शिवसेना शिंदे के कोटे से बने मंत्री योगेश कदम ने कहा कि ये क्या हो रहा है? जैसे-जैसे पॉलीटिकल सिचुएशन बदलता है, उद्धव ठाकरे का हिंदुत्व के बारे में स्टैंड बदलता है, यह बात उनके बारे में थी, आज सिचुएशन ऐसी है महानगरपालिका के चुनाव आ रहा है तो उनको हिंदुत्व याद आ रहा है, भागवत जी का संकेत जो था वह उद्वव ठाकरे की तरफ था, ये कोशिश उद्धव कर रहे कि वे हिंदू मुस्लिम करके हिंदू नेता बन जाएं।
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भाई जनता ने कहा कि मोहन भागवत के बयान बार-बार बदलते रहते हैं, फिर भी अगर यह आरएसएस के मुखिया यह कह रहे हैं, तो बाकी लोग सिख ले इस बात से। इस संविधान की बुनियाद अनेकता में एकता है, 140 करोड़ आबादी का यह संविधान है। हम इस बात का स्वागत करते हैं, जब रेशम बाग में अपने अपने लोगों को बुलाया था तो कुछ बुद्धि देने के लिए कुछ बातें उनको वहां पर भी बताइए। फिर हिंदू मुस्लिम चुनाव के समय शुरू हो जाती है।