26 नवंबर 2008, भारत के इतिहास का एक ऐसा दिन है जो न केवल देश के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए आतंकवाद के खतरनाक चेहरे की एक कठोर याद है। मुंबई पर हुए इस आतंकवादी हमले ने न केवल सैकड़ों निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि देश के साहसी सुरक्षाकर्मियों ने अपनी वीरता और बलिदान से आतंकियों के नापाक मंसूबों को नाकाम कर दिया।
हमले की पृष्ठभूमि:
- हमले का मास्टरमाइंड: लश्कर-ए-तैयबा द्वारा प्रायोजित यह हमला पाकिस्तान से संचालित आतंकवाद का स्पष्ट उदाहरण था।
- आतंकी हमले का पैमाना: 10 आतंकियों ने मुंबई के प्रमुख स्थानों जैसे ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस, और सीएसटी रेलवे स्टेशन को निशाना बनाया। ये हमले करीब 60 घंटे तक चले।
- मृतकों और घायलों की संख्या:
- 160 से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई, जिनमें 22 सुरक्षाकर्मी भी शामिल थे।
- 300 से अधिक लोग घायल हुए।
शहीदों का बलिदान:
हमले को रोकने और मुंबई को बचाने में कई वीर सुरक्षाकर्मियों ने अपना बलिदान दिया। इनमें से कुछ प्रमुख नाम हैं:
- हेमंत करकरे (ATS प्रमुख):
- अपनी टीम के साथ आतंकियों का मुकाबला करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
- अशोक काम्टे (एसीपी) और विजय सालस्कर (एनकाउंटर स्पेशलिस्ट):
- करकरे के साथ आतंकियों के हमले का डटकर सामना किया और अपनी जान गंवाई।
- मेजर संदीप उन्नीकृष्णन (NSG कमांडो):
- ताज होटल में फंसे लोगों को बचाने के दौरान उनकी वीरता अमर हो गई। उनका आखिरी संदेश, “Don’t come up, I’ll handle them,” आज भी प्रेरणा देता है।
- तुकाराम ओंबले (एएसआई, मुंबई पुलिस):
- आतंकवादी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में अहम भूमिका निभाई। अपनी जान देकर देश को हमले के पीछे की साजिश का सबूत दिया।
- गजेंद्र सिंह बिष्ट (NSG कमांडो):
- नरीमन हाउस में ऑपरेशन के दौरान आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुए।
देश के इन वीर-बलिदानियों पर आगे बात करने से पहले उस दिन क्या हुआ था यदि उस पर संक्षेप में एक नजर डालें तो 26/11 मुंबई हमलों की छानबीन से जो कुछ सामने आया है, वह बताता है कि 10 हमलावर कराची से नाव के रास्ते मुंबई में घुसे थे।
इस नाव पर चार भारतीय भी सवार थे, जिन्हें किनारे तक पहुँचते-पहुँचते आतंकियों ने मार डाला था। रात के तकरीबन आठ बजे थे, जब ये हमलावर कोलाबा के पास कफ़ परेड के मछली बाजार पर उतरे। वहाँ से वे चार ग्रुपों में अलग-अलग बँट गए और टैक्सी लेकर आतंकी मंसूबों को अंजाम देने मुंबई में अपने टारगेट की तरफ निकल गए।
कहा तो यह भी जाता है कि इन लोगों की आपाधापी और हड़बड़ाहट देखकर कुछ मछुआरों को शक भी हुआ और उन्होंने पुलिस को जानकारी भी दी। लेकिन शुरू में मुंबई पुलिस ने इसे कोई ख़ास तवज्जो नहीं दी और न ही आगे बड़े अधिकारियों या खुफिया एजेंसियों को जानकारी दी।
मीडिया रिपोर्टों के हवाले से बात करें तो रात करीब साढ़े 9 बजे के आसपास छत्रपति शिवाजी टर्मिनल पर गोलीबारी की पहली खबर मिली। यहाँ दो आतंकियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर 52 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। 100 से ज्यादा लोग हमले में घायल भी हुए।
आतंकियों के पास एके-47 राइफलें थीं। यहीं पर हमला करने वालों में एक आतंकी अजमल आमिर कसाब भी था, जिसे बाद में मुंबई पुलिस के एएसआई तुकाराम ओंबले ने जकड़ लिया और 10 में से जीवित पकड़ा जाने वाला यही एकमात्र आतंकी था।
आगे अपने विदेशी ग्राहकों के लिए मशहूर लियोपोल्ड कैफे में दो आतंकियों ने जमकर गोलियाँ चलाईं। इस गोलीबारी में भी 10 लोग मारे गए थे। हालाँकि, जल्द ही यहाँ दोनों आतंकियों को भी सुरक्षाबलों ने ढेर कर दिया। इसके बाद हमला नरीमन हाउस बिजनेस एंड रेसीडेंशियल कॉम्प्लेक्स पर हुआ।
हमले से कुछ देर पहले ही पास के गैस स्टेशन में बड़ा धमाका भी हुआ। जिसके बाद नरीमन हाउस में मौजूद लोग बाहर की तरफ आए और इसी दौरान आतंकियों ने उन पर फायरिंग झोंक दी। सबसे बड़ा हमला होटल ताज पर था यदि आतंकी यहाँ अपने मंसूबों में पूरी तरह कामयाब होते तो आतंकी इतिहास में इस दिन की चोट और भी गहरी होती।
इन पाकिस्तानी आंतकियों से लड़ते-लड़ते देश के वीर जाँबाजों ने अपनी जान की बाजी लगा दी। मुंबई पुलिस के बहादुर पुलिसकर्मियों, ATS के जवानों और एनएसजी कमांडो सहित तमाम सुरक्षाबलों ने इन आतंकियों का डटकर सामना किया और 10 में से 9 आतंकियों को मारकर अनगिनत लोगों की जान बचाई।
उनमें से आइए जानतें हैं कुछ बहादुर योद्धाओं के बारें में जिन्होंने अपनी जान की परवाह न कर उस दिन लोगों की सुरक्षा करते हुए खुद बलिदान हो गए थे।