महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के समक्ष 11 नक्सलियों का सरेंडर करना राज्य के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। इन सभी नक्सलियों के ऊपर कुल 1.03 करोड़ रुपये का इनाम रखा गया था। सबसे अहम नाम विमला चंद्र सिदम उर्फ तारक्का का है, जो दंडकारण्य जोनल कमेटी की सदस्य थी और 38 वर्षों से नक्सल आंदोलन में सक्रिय थी।
A day dedicated to celebrating Gadchiroli's remarkable progress and paving the way for its future growth and development!
नववर्षाच्यानिमित्ताने गडचिरोलीतील परिवर्तन आणि विकासाला समर्पित केलेला एक परिपूर्ण दिवस!
(गडचिरोली येथील विविध कार्यक्रम | गडचिरोली | 1-1-2025)#Maharashtra… pic.twitter.com/enXGKY7cOZ
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) January 2, 2025
मुख्य बिंदु:
- प्रमुख नक्सली का सरेंडर:
- विमला सिदम उर्फ तारक्का के खिलाफ 170 से अधिक गंभीर अपराध दर्ज हैं।
- वह गढ़चिरौली जिले में नक्सल गतिविधियों को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रही थी।
- उसके ऊपर चार राज्यों में कुल एक करोड़ से अधिक का इनाम घोषित था।
- सीएम देवेंद्र फडणवीस का बयान:
- सीएम ने कहा कि नक्सल विरोधी अभियानों में C-60 कमांडो और अधिकारियों ने बहादुरी दिखाई है।
- हथियार डालने वाले माओवादियों की संख्या में वृद्धि और नक्सलियों की भर्ती प्रक्रिया में विफलता को देखते हुए महाराष्ट्र जल्द ही नक्सल खतरे से मुक्त हो जाएगा।
- नक्सल विरोधी अभियानों में C-60 फोर्स की भूमिका को विशेष रूप से सराहा गया।
Courage, Commitment, Change…
Gadchiroli’s Braveheart Soldiers Lead the Way to Peace and Progress!
Proud to felicitate the C-60 soldiers in Gadchiroli who displayed extraordinary bravery in defeating the Maoists, and ensuring safety in the city. Also presented the Indian… https://t.co/IuKhINZf3Y
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) January 1, 2025
- नक्सली आंदोलन की गिरती ताकत:
- सरकार और सुरक्षा बलों की लगातार कार्रवाई के कारण नक्सली आंदोलन कमजोर हो रहा है।
- हथियार डालने वाले नक्सलियों को समाज की मुख्यधारा में वापस लाने के लिए पुनर्वास योजनाओं का भी प्रभाव दिख रहा है।
- तारक्का का योगदान:
- विमला सिदम ने गढ़चिरौली सहित अन्य क्षेत्रों में नक्सल आंदोलन को मजबूत करने के लिए स्थानीय समर्थन जुटाने और संगठन का विस्तार करने का कार्य किया।
- उसका सरेंडर नक्सली संगठनों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
- सरेंडर के बाद सम्मान और पुनर्वास:
- हथियार डालने वाले नक्सलियों को सरकार की ओर से पुनर्वास योजनाओं के तहत सहायता प्रदान की जाएगी।
- यह कदम अन्य नक्सलियों को भी हथियार छोड़ने के लिए प्रेरित करेगा।
गढ़चिरौली: नक्सल विरोधी अभियान का केंद्र:
गढ़चिरौली जिला लंबे समय से नक्सली गतिविधियों का केंद्र रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों की रणनीतिक कार्रवाई और सरकार की पुनर्वास योजनाओं के कारण नक्सल प्रभाव में कमी आई है।
#WATCH | 11 naxals including Tarakka Sidam surrender before Maharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis at Gadchiroli Police headquarters pic.twitter.com/vhvGmPpQdH
— ANI (@ANI) January 1, 2025
आगे की योजना:
- C-60 कमांडो फोर्स के अभियानों को और तेज किया जाएगा।
- नक्सली आंदोलन को रोकने के लिए सरकार आर्थिक और सामाजिक विकास योजनाओं पर अधिक जोर देगी।
- राज्य में नक्सलियों के खिलाफ खुफिया नेटवर्क को और मजबूत किया जाएगा।
यह घटनाक्रम महाराष्ट्र को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है और इसे सरकार की नक्सल विरोधी रणनीति की सफलता के रूप में देखा जा रहा है।
तरक्का (विमला सिदम), गढ़चिरौली की पहली महिला माओवादी, माओवादी आंदोलन में एक प्रमुख चेहरा रही हैं। उनका सरेंडर नक्सल आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। आइए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं:
तरक्का का परिचय
- मूल नाम: विमला सिदम
- भूमिका:
- तरक्का माओवादी संगठन में 1983 में शामिल हुईं और गढ़चिरौली की पहली महिला माओवादी बनीं।
- उन्होंने गढ़चिरौली जिले में माओवादी आंदोलन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- आपराधिक रिकॉर्ड:
- उनके खिलाफ 170 से अधिक गंभीर अपराध दर्ज हैं।
- चार राज्यों में उनके ऊपर कुल 1 करोड़ रुपये से अधिक का इनाम था।
- संबंध:
- तरक्का देश में माओवादी संगठन के दूसरे नंबर के केंद्रीय समिति सदस्य भूपति की पत्नी हैं।
- वह पश्चिम बंगाल में मुठभेड़ में मारे गए कुख्यात माओवादी नेता किशनजी की भाभी हैं।
माओवादी संगठन में योगदान
- गढ़चिरौली जैसे दूरदराज इलाकों में माओवादी नेटवर्क को मजबूत करने में उनकी अहम भूमिका रही।
- स्थानीय समर्थन जुटाने, संगठन का विस्तार करने और नए सदस्यों को भर्ती करने में सक्रिय थीं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान
मुख्यमंत्री फडणवीस ने उनके आत्मसमर्पण को एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा:
- महाराष्ट्र नक्सलवाद से मुक्त होने की दिशा में तेज़ी से बढ़ रहा है।
- नक्सल संगठन अब नए लोगों को भर्ती करने में असमर्थ हो रहे हैं।
- गढ़चिरौली जैसे दूरस्थ इलाकों में नक्सलियों का प्रभाव खत्म हो रहा है।
- उन्होंने गढ़चिरौली को महाराष्ट्र का प्रथम जिला बनाने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांच्या उपस्थितीत इनाम असणाऱ्या 11 माओवाद्यांनी आज गडचिरोलीमध्ये आत्मसमर्पण केले. लोकशाही मुल्यांवरील विश्वास दृढ व्हावा म्हणून आत्मसमर्पण करणाऱ्या माओवाद्यांना संविधानाची प्रत भेट देण्यात आली. त्याचप्रमाणे पुनर्वसनासाठी राज्य सरकारकडून मदत स्वरुपात… pic.twitter.com/vBDon0S94F
— CMO Maharashtra (@CMOMaharashtra) January 1, 2025
गढ़चिरौली का महत्व
गढ़चिरौली जिला महाराष्ट्र के पूर्वी हिस्से में स्थित है और यह छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा हुआ है।
- इसे अक्सर महाराष्ट्र का अंतिम जिला कहा जाता है।
- नक्सलवाद के खिलाफ अभियान के तहत इसे विकास और सुरक्षा का मॉडल बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
सरेंडर का प्रभाव
तरक्का और अन्य नक्सलियों का आत्मसमर्पण:
- माओवादी संगठन की कमजोर होती स्थिति को दर्शाता है।
- सुरक्षा बलों और राज्य सरकार की प्रभावी रणनीति की सफलता का संकेत देता है।
- अन्य नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित करेगा।
तरक्का का सरेंडर न केवल महाराष्ट्र के लिए बल्कि पूरे देश के नक्सल विरोधी अभियान के लिए एक बड़ी सफलता है। इसे राज्य के विकास और सुरक्षा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के तौर पर देखा जा रहा है।