महाराष्ट्र विधानसभा को लेकर चल रहे सियासी उठापटक के बीच स्पीकर ने आखिरकार फैसला सुना दिया है. अपने लंबे फैसले में उन्होंने शिवसेना शिंदे गुट के 16 विधायकों की योग्यता पर बड़ा फैसला सुनाते हुए उनकी योग्यता बरकरार रखी है. उन्होंने कहा कि यह फैसला बहुमत के आधार पर हुआ है. ऐसे में अब महाराष्ट्र सरकार की स्थिति जस की तस बनी रहेगी. अपने फैसले में स्पीकर राहुल नार्वेकर ने सुप्रीम कोर्ट और शिवसेना के संविधान समेत कई चीजों का जिक्र किया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि कोर्ट के अनुसार दोनों गुटों ने पार्टी के संविधान के अलग-अलग संस्करण प्रस्तुत किए हैं, तो उस मामले में किस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए, जो संविधान दोनों गुटों के उभरने से पहले दोनों पक्षों की सहमति से चुनाव आयोग को प्रस्तुत किया गया था.
फैसला पढ़ते हुए क्या बोले स्पीकर राहुल नार्वेकर
Maharashtra Assembly speaker Rahul Narwekar gives verdict in Shiv Sena MLAs' disqualification case pic.twitter.com/Uh3FEB0wLY
— ANI (@ANI) January 10, 2024
– उन्होंने कहा कि दोनों पार्टियों, शिवसेना के दोनों गुटों द्वारा चुनाव आयोग को सौंपे गए संविधान पर कोई सहमति नहीं है. दोनों दलों के नेतृत्व संरचना पर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं. मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा प्रदान किया गया शिवसेना का संविधान यह निर्धारित करने के लिए शिवसेना का प्रासंगिक संविधान है कि कौन सा गुट वास्तविक राजनीतिक दल है.
– उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि कोर्ट के अनुसार दोनों गुटों ने पार्टी के संविधान के अलग-अलग संस्करण प्रस्तुत किए हैं, तो उस मामले में किस बात को ध्यान में रखा जाना चाहिए, जो संविधान प्रतिद्वंद्वी गुटों के उभरने से पहले दोनों पक्षों की सहमति से चुनाव आयोग को प्रस्तुत किया गया था. आगे निष्कर्ष दर्ज करने से पहले यह दोहराना जरूरी है कि इस अयोग्यता की शुरुआत के अनुसार, महाराष्ट्र विधान सचिवालय ने 7 जून 2023 को एक पत्र लिखा था, जिसमें चुनाव आयोग कार्यालय से पार्टी संविधान/ज्ञापन/नियमों की एक प्रति प्रदान करने का अनुरोध किया गया था.
– उन्होंने यह भी कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, मैं किसी अन्य कारक पर नहीं जा सकता जिसके आधार पर संविधान मान्य है. रिकॉर्ड के अनुसार, मैं वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान पर भरोसा कर रहा हूं.
– अपने फैसले में उन्होंने यह भी कहा कि नेतृत्व संरचना पर दोनों दलों के अलग-अलग दृष्टिकोण हैं. एकमात्र पहलू विधायक दल का बहुमत है. मुझे विवाद से पहले मौजूद नेतृत्व संरचना को ध्यान में रखते हुए प्रासंगिक संविधान तय करना होगा.
– शिवसेना के असली गुट पर क्या बोले: राहुल नार्वेकर ने यह भी कहा कि मेरे सामने मौजूद साक्ष्यों और रिकॉर्डों को देखते हुए, प्रथम दृष्टया यह संकेत मिलता है कि 2013 के साथ-साथ 2018 में भी कोई चुनाव नहीं हुआ था. हालांकि, 10वीं अनुसूची के तहत क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने वाले अध्यक्ष के रूप में मेरा क्षेत्राधिकार सीमित है और मैं इससे आगे नहीं जा सकता. चुनाव आयोग का रिकॉर्ड जैसा कि वेबसाइट पर उपलब्ध है और इसलिए मैंने प्रासंगिक नेतृत्व संरचना का निर्धारण करते समय इस पहलू पर विचार नहीं किया है. इस प्रकार, उपरोक्त निष्कर्षों को देखते हुए, मुझे लगता है कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध 27 फरवरी 2018 के पत्र में प्रतिबिंबित शिवसेना की नेतृत्व संरचना प्रासंगिक नेतृत्व संरचना है. जिसे यह निर्धारित करने के उद्देश्य से ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कौन सा गुट है असली राजनीतिक दल है.
– नार्वेकर ने यह भी कहा कि शिवसेना के 2018 संशोधित संविधान को वैध नहीं माना जा सकता क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. रिकॉर्ड के अनुसार मैंने वैध संविधान के रूप में शिव सेना के 1999 के संविधान को ध्यान में रखा है
शिवसेना के 16 विधायकों का पूरा मामला क्या है, जान लीजिए
असल में यह पूरा केस इस सरकार से ही जुड़ा हुआ है. इसे आसान भाषा में समझ लिए. यह मामला 20 जून, 2022 को शुरू हुआ जब शिवसेना के विधायक एकनाथ शिंदे और उनके समर्थकों ने शिवसेना के नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी सरकार से बगावत कर दी. शिंदे ने बाद में भाजपा के समर्थन से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. शिवसेना के नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले 16 विधायकों में एकनाथ शिंदे, सुभाष देसाई, दीपक केसरकर, संजय शिंदे, तानाजी सावंत, रमेश बोरनारे, प्रकाश सुर्वे, भावना गवली, यशवंत जाधव, संजय गायकवाड़, अब्दुल सत्तार, संजय राठौड़, बालाजी कल्याणकर, जयकुमार रावल और रमेश लटके शामिल हैं.
इन विधायकों को शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के समक्ष अयोग्य ठहराने के लिए याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि इन विधायकों ने शिवसेना के विधिवत व्हिप के खिलाफ मतदान किया, जिससे पार्टी के विधायिका दल के नेता के रूप में एकनाथ शिंदे की स्थिति को कमजोर किया गया. विधानसभा अध्यक्ष ने 27 जून, 2022 को इन विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए नोटिस जारी किया. इन विधायकों ने इस नोटिस का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने शिवसेना के व्हिप का पालन किया था और उन्हें अयोग्य ठहराने की मांग अवैध और अनुचित है.
इस मामले में सुनवाई 28 जून, 2022 से शुरू हुई. सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों ने अपने-अपने तर्क दिए. 10 जनवरी, 2024 के लिए विधानसभा अध्यक्ष ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
क्यों बनी थी ऐसी स्थिति?
हुआ यह था कि जून 2022 में जब शिंदे गुट ने शिवसेना और उद्धव ठाकरे से बगावत की, तब उन्हें 16 विधायकों का समर्थन था. यानी बगावत करने वाले सदस्यों की संख्या दो तिहाई नहीं थी. ऐसे में उन पर अयोग्यता की तलवार लटकी थी. अविभाजित शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में सुनील प्रभु ने शिंदे और अन्य 15 विधायकों के खिलाफ विधानसभा सदस्यता से अयोग्य ठहराए जाने का नोटिस दिया था. शिंदे गुट के बागी विधायक सुप्रीम कोर्ट पहुंचे.
इस बीच, शिंदे गुट के विधायकों की संख्या 40 हो गई. यानी पहले जब बागी विधायकों को नोटिस दिया गया, तब उनकी संख्या सिर्फ 16 थी. उसके बाद 14 और विधायकों के साथ आने से कुल बागी विधायकों की संख्या 40 हो गई है. चुनाव आयोग ने भी शिंदे गुट को असली शिवसेना मानते ही चुनाव चिह्न ‘धनुष वान’ देने का फैसला किया था.
जानिए अब कौन बना किंग..कौन किंगमेकर?
इस फैसले का मतलब यह हुआ कि महाराष्ट्र सरकार की स्थिति फिलहाल जस की तस बनी रहेगी. महाराष्ट्र विधानसभा में इस समय 286 विधायक हैं और बहुमत के लिए जरूरी जादुई आंकड़ा 144 सीटों का है. उद्धव गुट ने चार ग्रुप में शिंदे गुट के विधायकों के खिलाफ अयोग्यता का नोटिस दिया था. लेकिन अब सीएम शिंदे समेत 16 विधायकों को योग्य मान लिया गया है. इसलिए बीजेपी किंगमेकर और एकनाथ शिंदे किंग बने रहेंगे, साथ ही अजीत पवार अपना समर्थन जारी रखेंगे.