देवेन्द्र फडणवीस का संघर्ष और राजनीतिक यात्रा:
देवेन्द्र फडणवीस की जीवन यात्रा संघर्ष और सफलता की मिसाल है। वह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में अपनी दूसरी पारी शुरू कर चुके हैं, और उनकी राजनीति में एक विशेष स्थान है। फडणवीस का राजनीतिक सफर बचपन से ही विद्रोही स्वभाव से शुरू हुआ था। आइए जानते हैं उनकी जीवन की कुछ प्रमुख घटनाएँ और राजनीतिक यात्रा:
बचपन और विद्रोही स्वभाव:
- 6 वर्ष की आयु में विद्रोही स्वभाव:
1975 में, जब देवेन्द्र फडणवीस केवल 6 वर्ष के थे, देश में आपातकाल लागू किया गया था। उनके पिता गंगाधर फडणवीस, जो उस समय जनसंघ के नेता थे, आपातकाल के खिलाफ रैली का नेतृत्व कर रहे थे। इसके परिणामस्वरूप उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। - स्कूल से विरोध:
आपातकाल के दौरान उनकी गिरफ्तारी के बाद, देवेन्द्र ने इंदिरा कॉन्वेंट स्कूल में जाने से मना कर दिया था। उनका तर्क था कि वह उस स्कूल में नहीं जा सकते जिसका नाम ‘इंदिरा’ है, क्योंकि वही इंदिरा गांधी थीं जिन्होंने उनके पिता को जेल भेजा था। इसके बाद उन्हें सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ाई के लिए भेजा गया।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत:
- राम मंदिर आंदोलन:
देवेन्द्र फडणवीस राम मंदिर आंदोलन में भी सक्रिय थे। यह उनकी धार्मिक आस्थाओं और समर्पण को दर्शाता है। - वकालत और शिक्षा:
फडणवीस ने अपनी पढ़ाई वकालत में की और बाद में MBA भी किया। इसके बाद वह जर्मनी गए, जहाँ उन्होंने आगे की पढ़ाई की। - नागपुर के सबसे युवा मेयर:
देवेन्द्र फडणवीस ने नागपुर के सबसे युवा मेयर के रूप में कार्य किया। उनके नेतृत्व में नागपुर में कई विकास परियोजनाएँ शुरू हुईं और शहर का चेहरा बदला।
राजनीतिक सफर:
- मुख्यमंत्री बनने से पहले:
देवेन्द्र फडणवीस 2014 में महायुति (NDA) के नेता के रूप में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। वह महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री थे, जो केवल 44 वर्ष की आयु में मुख्यमंत्री बने थे। - 2019 का चुनाव और शिवसेना का टूटना:
2019 में फडणवीस के नेतृत्व में NDA ने चुनाव जीता था, लेकिन शिवसेना के अलग होने के कारण सरकार नहीं बन पाई। यह एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने महाराष्ट्र की राजनीति को एक नई दिशा दी। - 2022 में शिवसेना का टूटना:
2022 में शिवसेना टूटने के बाद फडणवीस को फिर से उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। - 2024 में फिर से मुख्यमंत्री:
2024 के चुनाव में फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा ने जीत हासिल की और वह फिर से मुख्यमंत्री बने। उनकी वापसी ने यह साबित कर दिया कि वह महाराष्ट्र की राजनीति में एक मजबूत और स्थिर नेतृत्व प्रदान कर सकते हैं।
निष्कर्ष:
देवेन्द्र फडणवीस का राजनीतिक जीवन संघर्ष, समर्पण, और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है। उनका बचपन से लेकर मुख्यमंत्री बनने तक का सफर उनके संघर्ष और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है। उनके नेतृत्व में महाराष्ट्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव और विकास कार्य हुए हैं, और अब वह अपनी दूसरी पारी में राज्य की सेवा में हैं।