शिवसेना बनाम शिवसेना विवाद में उद्धव ठाकरे गुट फिर से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. उद्धव गुट ने उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल किया है. उद्धव गुट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर की 7 जनवरी को सीएम एकनाथ शिंदे से मुलाकात पर आपत्ति जताई है. उसने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष इस समय मुख्यमंत्री से कैसे मुलाकात कर सकते हैं, जबकि तीन दिन बाद ही 10 जनवरी को स्पीकर को शिंदे गुट के खिलाफ अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला सुनाना है.
उद्धव खेमे ने सवाल उठाया कि किसी मामले का जज या कार्यवाहक ट्रिब्यूनल फैसला देने से पहले किसी एक पक्ष (याचिकाकर्ता) के साथ बैठक कैसे कर सकता है?
हलफनामे में कहा गया है कि स्पीकर का सीएम एकनाथ शिंदे से मिलना बेहद अनुचित है. खासतौर पर शिंदे की अयोग्यता पर फैसले से तीन दिन पहले, दसवीं अनुसूची के तहत निर्णायक प्राधिकारी के रूप में स्पीकर को निष्पक्ष होना और निष्पक्ष तरीके से कार्य करना आवश्यक है.
अयोग्यता पर फैसला कल
एक अधिकारी ने सोमवार (8 जनवरी) को बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कई अन्य विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं पर अपना फैसला 10 जनवरी को सुनाएंगे.
इसमें कहा गया कि स्पीकर का आचरण आत्मविश्वास को प्रेरित करने वाला होना चाहिए और अपने उच्च पद पर व्यक्त संवैधानिक विश्वास को उचित ठहराना चाहिए.
हालांकि, स्पीकर का वर्तमान कार्य निर्णय लेने की प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठाता है. फैसले की समय सीमा से ठीक पहले एकनाथ शिंदे का अपने आवास पर जाना, उस कानूनी कहावत का उल्लंघन है कि न्याय न केवल होना चाहिए, बल्कि न्याय होते हुए दिखना भी चाहिए.
जून 2022 में हुई थी बगावत
एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विधायकों की बगावत के चलते जून 2022 में शिवसेना दो गुटों में बंट गई थी. इसी के साथ उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिर गई थी. इसके बाद शिंदे और ठाकरे गुटों की तरफ से दलबदल रोधी कानूनों के तहत एक दूसरे के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की गईं.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाने की समय-सीमा 31 दिसंबर, 2023 तय की थी, लेकिन उससे कुछ दिन पहले 15 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अवधि को 10 दिन बढ़ाकर फैसला सुनाने के लिए 10 जनवरी की नई तारीख तय की.
इस मामले में चुनाव आयोग ने शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘शिवसेना’ नाम और ‘तीर धनुष’ चुनाव चिह्न दिया. वहीं ठाकरे के नेतृत्व वाले गुट को शिवसेना (यूबीटी) नाम और चुनाव चिह्न ‘जलती हुई मशाल’ दिया गया.