महाराष्ट्र की सियासत में शह-मात का खेल तेज है. भतीजे अजित पवार की बगावत के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार एक बार फिर से एक्टिव हो गए हैं. शरद पवार ने बागी रुख अपनाने वाले विधायकों की वापसी का तानाबाना बुनना शुरू किया है, तो दूसरी तरफ उनके साथ कदम से कदम मिलकर खड़े रोहित पवार सियासी चर्चा का केंद्र बने हुए हैं. अचानक से हाईलाइट हुए रोहित पवार कहीं अब एनसीपी में अजित पवार के विकल्प के तौर पर तो नहीं उभर रहे हैं, क्योंकि ऐसा लगता है कि शरद पवार ने अब उन्हें आगे बढ़ाने का मन बना लिया है. यही कारण है कि संकट के इस वक्त में रोहित ही शरद पवार के सबसे करीब नज़र आ रहे हैं.
अजित पवार के अपने सिपहसलारों के साथ बीजेपी गठबंधन में शिरकत करने बाद एनसीपी के सियासी भविष्य पर सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में शरद पवार के साथ-साथ रोहित पवार भी काफी एक्टिव नजर आ रहे हैं. शरद पवार ने विधायकों की बैठक बुलाई है, तो रोहित ने भी पार्टी नेताओं से मुलाकात का दौर शुरू कर दिया है. ऐसे में सभी के मन में सवाल उठ रहा है कि रोहित पवार कौन हैं और क्या शरद पवार उनमें अजित पवार का विकल्प देख रहे हैं?
रोहित पवार का शरद पवार से क्या कनेक्शन?
रोहित पवार एनसीपी प्रमुख शरद पवार के रिश्ते में पोते लगते हैं. रोहित के पिता का नाम राजेंद्र पवार है, जो शरद पवार के बड़े भाई अप्पा साहेब के बेटे हैं. शरद पवार के परिवार में चार भाई और एक बहन हैं, जिसमें सबसे बड़े भाई अप्पा साहेब, उनके बाद अनंतराव, प्रताप राव व बहन सरोज आते हैं. शरद पवार तीसरे नंबर के भाई हैं. अजित पवार के पिता का नाम अनंतराव पवार हैं, इस लिहाज से वह शरद पवार के भतीजे लगते हैं.
शरद पवार के सबसे बड़े बाई अप्पा साहेब के दो बेटे हैं, जिनमें एक राजेंद्र पवार और दूसरे रंजीत हैं. शरद पवार के भतीजे राजेंद्र पवार के बेटे रोहित पवार हैं, जिस लिहाज से रोहित रिश्ते में शरद पवार के पोते लगते हैं. भतीजे अजित पवार को शरद पवार ने महाराष्ट्र में एनसीपी की राजनीति में आगे बढ़ाया, लेकिन अपना सियासी वारिस बेटी सुप्रिया सुले को चुना. सुप्रिया को एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया तो अजित पवार बगावत के रास्ते पर चल पड़े. अब जब अजित पवार पार्टी से अलग रुख अपना रहे हैं, तो शरद पवार ने भतीजे की जगह अपने पोते को आगे बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है.
#MPL च्या फायनल मॅचसाठी आले असताना क्रिकेट खेळासाठी दिलेल्या योगदानाबद्दल सन्मानचिन्ह देऊन आदरणीय पवार साहेबांचा सन्मान करण्यात आला. यावेळी उद्योगमंत्री @samant_uday साहेब यांच्यासह ॲपेक्स बॉडीचे मेंबर उपस्थित होते..@PawarSpeaks pic.twitter.com/cbv9xZUKBk
— Rohit Pawar (@RRPSpeaks) June 30, 2023
कौन हैं रोहित पवार जिन्हें विरासत में मिली सियासत?
37 साल के रोहित पवार का जन्म 29 सितंबर 1985 को बारामती में हुआ था, रोहित के पिता का नाम राजेंद्र पवार और मां का नाम सुनंदा पवार है. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा बारामती से ही पूरी की, जिसके बाद मुंबई विश्वविद्यालय से बैचलर ऑफ मैनेजमेंट में स्नातक किया. रोहित पवार एक बिजनेसमैन भी हैं, वह बारामती एग्रो लिमिटेड के सीईओ हैं.
रोहित पवार को सियासत पवार परिवार से विरासत में मिली है. रोहित ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत जिला परिषद सदस्य के रूप में किया और 2019 में करजत-जामखेड विधानसभा सीट से पहली बार विधायक चुने गए.
2017 में पुणे के बारामती तालुका में शिरसुफल-गुनावाड़ी क्षेत्र से जिला परिषद सदस्य चुने गए. इसके बाद रोहित पवार 2019 में कर्जत-जामखेड विधानसभा सीट से पहली बार विधायक चुने गए. वहीं, अजित पवार ने अपने बेटे पार्थ पवार को 2019 के लोकसभा चुनाव में शरद पवार की संसदीय सीट से उतारा था, लेकिन जीत नहीं सके. इसी के साथ शरद पवार की सीट भी गवां दी थी.
इस तरह पवार परिवार से चुनाव हारने वाले पार्थ पहले सदस्य थे, उसी के बाद ही रोहित पवार को विधानसभा चुनाव में उतारा गया था और जीत कर पवार परिवार की विरासत को आगे बढ़ाया. अजित पवार ने बागी रुख अपनाया तो रोहित अपने दादा के सियासी सहारा बनकर सामने आए हैं.
राजकारणातील फलंदाजाची क्रिकेटच्या मैदानात बॅटिंग…#MPL#Final @PawarSpeaks pic.twitter.com/gV3mQiedkZ
— Rohit Pawar (@RRPSpeaks) June 30, 2023
कॉपरेटिव पालिटिक्स में रोहित का दखल
रोहित पवार मुख्यधारा की ही सियासत नहीं कर रहे हैं बल्कि महाराष्ट्र की कॉपरेटिव पॉलिटिक्स से जुड़े हैं. एनसीपी की राजनीतिक जड़ें कॉपरेटिव पालिटिक्स पर टिकी हुई हैं. रोहित पवार बारामती सहकारिता और कृषि क्षेत्र में भी दखल रखते हैं. इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं. इसके अलावा बारामती एग्रो लिमिटेड के सीईओ भी रहे हैं. रोहित की मां सुनंदा राजेंद्र पवार एक वुमेन एक्टिविस्ट हैं और बारामती में कृषि विकास ट्रस्ट की ट्रस्टी हैं.
महाराष्ट्र में आखिर हुआ क्या है?
एनसीपी में पिछले कुछ दिनों से ही हलचल मची थी, इस बीच रविवार को बड़ा खेल हुआ. अजित पवार 8 विधायकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल हुए. अब अजित पवार उपमुख्यमंत्री बने हैं और उनके साथ आए 8 नेताओं को मंत्री पद दिया गया है. हालांकि, अजित पवार ने 40 विधायकों के समर्थन का दावा किया है.
राज्य में अब भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार गुट) की सरकार चल रही है. 24 घंटे के भीतर ही पूरा गेम बदल गया है, जबकि शरद पवार अभी पार्टी के नेताओं को एकजुट करने में लगे हैं. हालांकि, अजित पवार गुट के लोगों ने शरद पवार का आशीर्वाद होने का दावा किया है.