मणिपुर सरकार ने वहाँ के लोगों से अपील की है कि वो अपने अवैध हथियार 15 दिनों के अंदर सरेंडर कर दें। सरकार ने ऐसा न करने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। इसे लेकर राज्य के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के कार्यालय ने एक बयान जारी किया है।
राज्य के मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि राज्य सरकार ने शुक्रवार (22 सितंबर, 2023) से 15 दिनों के अंदर अवैध हथियार या लूटे गए हथियार जमा करवाने का अभियान शुरू किया है। इस दौरान ऐसे हथियारों को जमा करने वाले लोगों पर सरकार विचार करने के लिए तैयार है।
मणिपुर सरकार ने चेतावनी वाले लहजे में यह भी कहा कि जिनके पास अवैध हथियार हैं और वो पुलिस-प्रशासन तक इसे 15 दिनों के भीतर अगर जमा नहीं करते हैं तो पूरे राज्य में व्यापक तलाशी अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही अवैध हथियारों रखने वाले सभी लोगों से कानून के मुताबिक गंभीरता से निपटा जाएगा।
इन अवैध हथियारों के इस्तेमाल से अपराधियों द्वारा जबरन वसूली, धमकी और अपहरण की खबरें आई हैं। मणिपुर सरकार ने इसे एक गंभीर मामला बताया है और स्पष्ट कहा कि ऐसे समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। इसके अलावा मणिपुर सरकार ने लोगों से राज्य में शांति और सामान्य हालात लौटाने के लिए केंद्र और राज्य का सहयोग करने की अपील भी की है।
मणिपुर मानवाधिकार आयोग (एमएचआरसी) की सिफारिशों पर राज्य सरकार ने पुलिस महानिदेशक को सुरक्षा बलों के शस्त्रागार और चुराचाँदपुर बंदूक की दुकान से जातीय दंगों के दौरान लूटे गए हथियारों एवं गोला-बारूद को बरामद करने का निर्देश दिया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक राज्य में भड़के जातीय दंगों के दौरान भीड़, हमलावरों और उग्रवादियों ने पुलिस स्टेशनों व पुलिस चौकियों से 4,000 से अधिक कई तरह के अत्याधुनिक हथियार और गोला-बारूद लूट लिया था।
इसके अलावा राज्य सरकार ने एक प्राइवेट टेली कम्युनिकेशन कंपनी (एयरटेल) को नोटिस भी जारी किया है। एयरटेल को यह नोटिस सरकार के 20 सितंबर के मोबाइल इंटरनेट सेवा निलंबित रखे जाने के आदेश के बावजूद चुराचाँदपुर और पड़ोसी बिष्णुपुर जिले के कुछ क्षेत्रों में सेवाएँ मुहैया करवाने की वजह से दिया गया है।
जो हथियार के साथ धराए, कोर्ट से उन सबको जमानत
मणिपुर में विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने कुछ लोगों को अवैध हथियारों के संग गिरफ्तार किया था। इन लोगों ने अवैध हथियारों के साथ-साथ पुलिस की वर्दी भी पहन रखी थी। इस संबंध में सभी 5 आरोपितों पर UAPA के तहत केस दर्ज किया गया था। शुक्रवार (22 सितंबर) को एक विशेष अदालत ने इन पाँच आरोपितों को जमानत दे दी।
कोर्ट ने हालाँकि निर्देश दिया है कि इन सभी आरोपितों को पुलिस जाँच में सहयोग करना होगा। जमानती आदेश में यह भी कहा गया कि कोई भी आरोपित बगैर सूचना दिए राज्य से बाहर नहीं जा सकेंगे।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान कर्फ्यू लगे होने के बावजूज महिलाएँ वहाँ बैठ गई थीं। इससे पहले इन पाँचों आरोपितों को छोड़ने की माँग को लेकर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच गुरुवार (21 सितंबर) को कई जगहों पर झड़प हुई थी। इसे लेकर कर्फ्यू लगाया गया था।
एयरटेल को नोटिस
राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाएँ अब भी निलंबित हैं। सरकार के इस आदेश के बावजूद 20 सितंबर को चुराचाँदपुर और पड़ोसी बिष्णुपुर जिले के कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएँ जारी थीं। एक अधिकारी के मुताबिक, इसे लेकर एयरटेल को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया है। राज्य सरकार ने एयरटेल से शुक्रवार तक इस संबंध में लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा है।
अधिकारी के मुताबिक, आयुक्त (गृह) टी रणजीत सिंह ने इंफाल में एयरटेल के मुख्य तकनीकी अधिकारी आशीष बंसल को इसे लेकर लेटर लिखा है। इसमें कहा गया, “ये सेवा प्रदाता की तरफ से गंभीर चूक है और इस वजह से कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भड़काऊ और उकसाने वाली क्लिप और संदेश प्रसारित होने की आशंका है, जिससे सांप्रदायिक तनाव, घृणा और अफवाह फैलने का खतरा है।”