मणिपुर में हालात को सामान्य करने के लिए सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने विपक्ष के इस दावे को सिरे से नकार दिया कि मणिपुर जल रहा है। उन्होंने बताया कि 18 जुलाई के बाद से राज्य में हत्या की कोई घटना नहीं हुई है। उन्होंने यह भी दावा किया कि मेतैई और कुकी के साथ जारी बातचीत के माध्यम से जल्द ही शांति और सामान्य स्थिति बहाल की जाएगी।
विपक्षी गठबंधन से सरकार को घेरा
दरअसल, विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) ने मणिपुर को लेकर केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर निष्क्रियता का आरोप लगा हैं। इस पर अधिकारी का कहना है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में तीन दिन बिताए। 41 विभिन्न समूहों से मुलाकात की और राज्य में प्रमुख हिंसा स्थलों का दौरा किया।
पुरानी सरकारों पर किया यह खुलासा
उन्होंने दावा किया कि किसी मंत्री ने संसद में केवल एक बार अगस्त 1993 में जवाब दिया था, जब तत्कालीन गृह राज्य मंत्री ने कुकी-नगा संघर्ष के दौरान सैकड़ों लोगों की हत्या और 350 से अधिक गांवों के प्रभावित होने के बाद बात की थी। उन्होंने कहा कि केवल एक बार एक मंत्री, तत्कालीन गृह राज्य मंत्री राजेश पायलट ने साढ़े तीन घंटे के लिए राज्य का दौरा किया था।
सरकारी एजेंसियां मेतैई-कुकी समूहों के साथ बातचीत कर रही हैं
सरकारी अधिकारी ने कहा कि मौजूदा गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने 25 मई से 17 जून के बीच मणिपुर में 22 दिन बिताए। उन्होंने हिंसा में किसी भी धार्मिक एंगल को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि समुदायों के बीच अविश्वास की खाई है, जिसे पाटने के लिए सरकार काम कर रही है। सरकारी एजेंसियां मेतैई और कुकी समूहों के साथ अलग-अलग बातचीत कर रही हैं।
करीब तीन महीने से जारी हिंसा
मणिपुर में बीती तीन मई को जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी। मणिपुर के मैतई समुदाय द्वारा जनजातीय आरक्षण देने की मांग से हिंसा की शुरुआत हुई थी, जिसमें अभी तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं।