नागालैंड के हॉर्नबिल महोत्सव का 25वां संस्करण राज्य की विविध संस्कृति, परंपरा, और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक अहम आयोजन है। लेकिन इस साल का आयोजन विवादों में घिर गया है। आइए जानते हैं इसके मुख्य कारण:
हॉर्नबिल महोत्सव के बारे में:
- शुरुआत:
- हॉर्नबिल महोत्सव 1 दिसंबर से शुरू होकर 10 दिनों तक चलता है।
- इसका आयोजन किसामा हेरिटेज विलेज में किया जाता है।
- इसे “फेस्टिवल ऑफ फेस्टिवल्स” के नाम से भी जाना जाता है।
- मुख्य आकर्षण:
- नृत्य और संगीत: नागालैंड की 17 जनजातियों के पारंपरिक नृत्य और गीत।
- पारंपरिक खेल और हथकरघा: स्थानीय खेल और हस्तशिल्प प्रदर्शनी।
- स्थानीय भोजन: नागालैंड के पारंपरिक व्यंजनों का अनुभव।
- पर्यटन: यह राज्य की प्राकृतिक सुंदरता और जनजातीय जीवनशैली को देखने का अवसर प्रदान करता है।
- महत्व:
- यह महोत्सव राज्य की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने और विश्व पर्यटन के केंद्र में नागालैंड को लाने का जरिया है।
- नागालैंड का स्थापना दिवस (1 दिसंबर) भी इसी समय मनाया जाता है।
विवादों के मुख्य कारण:
- धार्मिक विवाद:
- कुछ ईसाई संगठनों ने इस आयोजन का विरोध किया है, उनका मानना है कि यह ईसाई धर्म की आस्थाओं के विपरीत है।
- उनका तर्क है कि यह महोत्सव पारंपरिक ‘पगान’ (Pagan) प्रथाओं और रीति-रिवाजों को बढ़ावा देता है, जो उनके धार्मिक विश्वासों के अनुरूप नहीं हैं।
- मूलभूत धार्मिक आस्था:
- नागालैंड के लगभग 90% लोग ईसाई हैं। हॉर्नबिल महोत्सव के दौरान पारंपरिक नृत्य, बलिदान, और अनुष्ठानों को लेकर धार्मिक असहमति के स्वर उठे हैं।
- आर्थिक प्राथमिकताएँ:
- कुछ आलोचकों का कहना है कि सरकार इस महोत्सव पर भारी धनराशि खर्च कर रही है जबकि नागालैंड के कई क्षेत्र बुनियादी सुविधाओं जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, और सड़कों की समस्याओं से जूझ रहे हैं।
- स्थानीय जनजातियों के बीच मतभेद:
- नागालैंड की 17 प्रमुख जनजातियों में से कुछ का मानना है कि उनकी संस्कृति और परंपराओं को इस महोत्सव में उचित स्थान नहीं दिया जा रहा है।
- इसके अलावा, कुछ जनजातियाँ इसे बाहरी लोगों के लिए एक आधुनिकीकृत और व्यावसायिक आयोजन मानती हैं, जो उनकी असली संस्कृति को सही रूप से प्रदर्शित नहीं करता।
- आयोजन स्थल से जुड़े विवाद:
- किसामा हेरिटेज विलेज के आसपास की जमीन पर कई जनजातियों का दावा है कि वह उनकी पारंपरिक भूमि है, और इसका उपयोग बिना उनकी सहमति के किया जा रहा है।
सरकार और आयोजन समिति का पक्ष:
- नागालैंड सरकार का कहना है कि हॉर्नबिल महोत्सव केवल सांस्कृतिक उत्सव है और इसका किसी धर्म से विरोधाभास नहीं है।
- यह आयोजन राज्य की आर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए किया जा रहा है।
- विवादों को सुलझाने के लिए स्थानीय संगठनों और समुदायों के साथ बातचीत की जा रही है।
महत्व और प्रभाव:
- हॉर्नबिल महोत्सव नागालैंड की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का एक मंच है।
- यह राज्य की पर्यटन आय का सबसे बड़ा स्रोत है।
- इसे विवादों से हटकर नागालैंड की सांस्कृतिक समृद्धि के उत्सव के रूप में देखा जाना चाहिए।
25th #HornbillFestival 2024 ||
Meet Mr. Wenlao Konyak and Mr. Hokon Konyak, two remarkable men from ChenLoisho Wangto village in Mon district, both aged 85, and the last surviving tattooed headhunters of the Konyak tribe.
Their distinctive tattoos, a symbol of their warrior… pic.twitter.com/fVS4ga20JM
— All India Radio News (@airnewsalerts) December 6, 2024
नागा संस्कृति में राइस बियर का महत्व
दरअसल, नागालैंड की संस्कृति में और हॉर्नबिल महोत्सव में ‘राइस बियर’ एक महत्वपूर्ण पेय पदार्थ माना जाता है। इसे नागालैंड के लोग पारंपरिक शराब के रूप में समारोहों में वितरित करते हैं। ये समारोह फिर चाहे सामाजिक हो या सांस्कृतिक, हर जगह ‘राइस बियर’ का महत्व होता है। कहीं इसे बांस से बने ग्लास में दिया जाता है तो कहीं किसी व्यंजन के साथ मिश्रित करके इसका सेवन होता है।
नागालैंड की जनजातियों में और यहाँ बाहर से आने वाले लोगों में चूँकि इस पेय पदार्थ का क्रेज सबसे अधिक है। इसकी महत्वता को देखते हुए नागालैंड सरकार ने इस पर निर्णय लिया कि वो राज्य में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित शराब के सख्त कानूनों में थोड़ी रियायत देंगे और इस महोत्सव में भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) की बिक्री की अनुमति होगी। इस संबंध में पर्यटन मंत्री तेम्जेन इम्ना अलोंग ने भी बयान दिया कि यह कदम पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए उठाया गया है।
The energy at #HornbillFestival2023 was off the charts!
We kicked off the festivities by snagging fantastic mugs of “Thuthse”.
Cheers echoed through the celebration, embracing tradition and good times!#Nagaland #ricebeer #northeast #kisama pic.twitter.com/FKa3QdqXsS
— Neelakshi Buragohain (@boowoo06) December 13, 2023
अब ये भली-भाँति जानते हुए कि राज्य में ये छूट केवल राजस्व बढ़ाने के लिए नहीं दी गई बल्कि जनजातीयों की संस्कृति को देखते हुए दी गई है, चर्चों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने इस पूरी छूट को इस एंगल से बयान दिया कि सुनने वालों को लगे कि सरकार तो राज्य में शराब को बढ़ावा दे रही है। जबकि हकीकत यह है कि राइस बियर जैसे चीजें नागा संस्कृति का हिस्सा रही है इसलिए इसपर विचार किया जा रहा है और वहीं चर्च इस पर आपत्ति इसलिए जता रहा है क्योंकि उनके मुताबिक जनजातीयों का पारंपरिक पेय जल का सेवन सामाजिक और नैतिक रूप से गलत है।
रंगों में रची हमारी परंपरा, त्योहारों में बसी हमारी संस्कृति!
The Hornbill Festival is back, grander than ever, with a celebration like no other! This 25th edition is not just a festival; it's a vibrant jubilee of tradition, culture, and unity.
Let’s come together and… pic.twitter.com/KkfLrYAKsi
— Temjen Imna Along (@AlongImna) December 1, 2024
रिपोर्ट्स के अनुसार नागालैंड बैपटिस्ट चर्च काउंसिल (NBCC) ने कहा कि पर्यटक नागालैंड आने का मुख्य कारण उसकी संस्कृति और विरासत का अनुभव करना है, न कि शराब पीना। NBCC ने जनजातीय समुदाय के इस महोत्सव में पारंपरिक शराब का विरोध करने के क्रम में ये कहकर भी डराया है कि यदि राज्य में शराब की बिक्री को बढ़ावा दिया गया तो इसके दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं।
"The Hornbill Festival is a vibrant celebration of Nagaland’s rich heritage, showcasing the North East’s unparalleled culture, traditions, and unity. It’s a testament to the spirit of #EkBharatShreshthaBharat, bringing together the essence of India’s diversity.
National Anthem… pic.twitter.com/NX5d6PMhMS
— Pratima Bhoumik (@PratimaBhoumik) December 6, 2024
नागा संस्कृति पर हावी ईसाई आबादी और उनके नियम
गौरतलब है कि नागालैंड में बहुसंख्य आबादी ईसाइयों की इसलिए ईसाई ताकतें चाहती हैं कि हर नियम उनके अनुसार बनें और अन्य जातियाँ भी उन्हीं के बनाए नियमों के अनुरूप रहें। इन्हीं ईसाई ताकतों के दबावों में करीबन 35 साल पहले राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था और आज भी वो ताकतें किसी तरह के बदलावों के लिए तैयार नहीं है। नागालैंड में चर्चों का आज भी यही सोचना है कि अन्य जनजातियाँ उनके हिसाब से चलें। भले ही इस दबाव में उनकी अपनी संस्कृति हमेशा के लिए खत्म कर दें मगर सुनें उनकी हीं।
Zutho – traditionally brewed rice beer of Naga's plays an integral role in the day-to-day life of the #Angami Nagas people and several other communities in the region.
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The rice beer with lot many medicinal & therapeutic properties. #beer #ricebeer #naga #zutho #tribe #liquor pic.twitter.com/472p6mtJ1i
— Wander Nagaland (@WanderNagaland) January 23, 2020
184 साल पहले आए अमेरिका से हुई थी बैप्टिस्टों की नागालैंड में एंट्री
केवल जानकारी के लिए बता दें कि भले ही चर्चा और महिला संगठनों के दबाव में आधिकारिक तौर पर राज्य में पूर्ण शराबबंदी 1989 में की गई थी। लेकिन नागालैंड में ईसाई ताकतों की घुसपैठ 1870 से शुरू हो गई थी। रिपोर्ट बनाती हैं कि 1870 में जब नागालैंड में अमेरिकी बैप्टिस्ट आए तो उन्होंने शराब को पाप बताया और धर्म परिवर्तन करने वालों के लिए सख्त दंड का प्रवाधान किया। इसके बाद जो कोई भी ऐसा करता वहाँ पकड़ा जाता था उसे समुदाय से निकालकर सजा दी जाती थी। आज उसी प्रभाव का नतीजा है कि राज्य की आबादी 87% ईसाई है।