ओडिशा के बरगढ़ जिले में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षा बलों को मिली यह सफलता नक्सल-प्रभावित क्षेत्रों में राज्य की लगातार और लक्षित कार्रवाई की गंभीरता को दर्शाती है। गंधमर्दन रिजर्व फॉरेस्ट से माओवादियों के बड़े हथियारों और दैनिक उपयोग की सामग्रियों के जखीरे की बरामदगी से यह संकेत मिलता है कि:
मुख्य बिंदु: बरगढ़ ऑपरेशन की सफलता
- स्थान: मरजादापाली गाँव, दुर्गेखोल क्षेत्र, गंधमर्दन रिजर्व फॉरेस्ट
- जाँच एजेंसी: डिस्ट्रिक्ट वॉलेंटरी फोर्स (DVF)
- तिथि: 30-31 मई की रात को ऑपरेशन
- बरामद सामग्री में शामिल हैं:
- विस्फोटक सामग्री: डेटोनेटर, जिलेटिन स्टिक, डेटोनेटर केस, आईईडी
- कम्युनिकेशन: वॉकी-टॉकी, रेडियो सेट, मोबाइल चार्जर
- जीवनोपयोगी वस्तुएं: तिरपाल, टॉर्च, पानी के डिब्बे, टिफिन बॉक्स, मच्छर कॉइल
- माओवादी प्रचार सामग्री: पर्चे, पुस्तिकाएं, बैनर की स्याही
- दवाइयाँ: बड़ी मात्रा में, जिससे बीमार माओवादियों की मौजूदगी का संकेत
- खाद्य और ग्रॉसरी सामान: तेल, साबुन, कपड़े, शेविंग किट, चाय, पाउडर, रस्सियाँ आदि
क्या यह क्षेत्र माओवादियों का नया अड्डा बन रहा है?
- गंधमर्दन पर्वत पहले भी माओवादी गतिविधियों का गढ़ रहा है। पिछले 16 वर्षों में:
- कई माओवादी मारे गए या आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
- आम लोगों की जन अदालत लगाकर हत्या की गई, उन्हें पुलिस मुखबिर बताया गया।
- छत्तीसगढ़ में सुरक्षा दबाव के कारण माओवादी अब ओडिशा की सीमा की ओर बढ़ रहे हैं, खासकर नुआपाड़ा और बरगढ़ की तरफ।
राज्य सरकार का कड़ा रुख
- एसपी प्रह्लाद सहाय मीणा ने स्पष्ट किया कि यह ऑपरेशन माओवादियों की गतिविधियों को नष्ट करने की बड़ी योजना का हिस्सा है।
- नियमित ऑपरेशन, बलांगीर और बरगढ़ दोनों जिलों में जारी हैं।
- माओवादियों से अपील: हथियार छोड़ें, आत्मसमर्पण करें, मुख्यधारा में लौटें।
रणनीतिक विश्लेषण
- इतनी बड़ी मात्रा में एकत्र की गई सामग्री से यह स्पष्ट है कि यह कोई अस्थायी कैंप नहीं था, बल्कि माओवादियों की एक लंबे समय की तैयारी का केंद्र हो सकता था।
- दवाइयाँ, तिरपाल, बिजली के तार, बैटरियाँ, ये सभी संकेत करते हैं कि यह स्थान कई लोगों के रुकने और संचालन के लिए तैयार किया गया था।
- बरामद प्रचार सामग्री से अंदेशा है कि यहां से आसपास के गाँवों में वैचारिक प्रसार की योजना थी।
यह ऑपरेशन केवल एक हथियार बरामदगी नहीं, बल्कि ओडिशा सरकार और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चलाए जा रहे समन्वित और खुफिया आधारित नक्सल-विरोधी अभियानों की निर्णायक सफलता है। आने वाले समय में यदि लगातार इसी रणनीति के साथ कार्य किया जाए तो यह गंधमर्दन क्षेत्र को माओवादी प्रभाव से मुक्त करने की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ बन सकता है।