बालेश्वर जिले में जिस बाहनगा बाजार रेलवे स्टेशन पर रेल दुर्घटना हुई, उसके पास ही रा.स्व.संघ की शाखा लगती है। चीख-पुकार सुनकर शाम 7:15 बजे तक स्वयंसेवक तक दुर्घटनास्थल पर पहुंच चुके थे। उनके साथ स्थानीय लोग भी थे। एक स्वयंसेवक ने पाञ्चजन्य को बताया कि घटनास्थल का जो दृश्य था, उसे शब्दों में बताना संभव नहीं है। अंधेरा हो चुका था, बिजली नहीं थी। उस समय तक एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की बचाव टीमें नहीं पहुंची थीं।
स्वयंसेवकों ने बिना समय गंवाए मोबाइल फोन की रोशनी में बचाव कार्य शुरू किया और साथियों को पास के गांव से इमर्जेंसी लाइट लाने के लिए भेजा। स्वयंसेवकों के पास कोई उपकरण भी नहीं था, इसलिए लोगों को दुर्घटनाग्रस्त डिब्बों से निकालने में दिक्कतें आ रही थीं। कुछ स्वयंसेवक पास के गांवों से बड़ी कुल्हाड़ी, रॉड और हथौड़े ले आए और घायलों को बाहर निकालना शुरू कर दिया।
शुरुआत में स्वयंसेवकों को समझ में नहीं आया कि घायलों को अस्पताल कैसे पहुंचाया जाए। तब तक पास के खंतापड़ा के अस्पताल से दो ही एंबुलेंस पहुंची थीं। प्रशासन अन्य एंबुलेंस एकत्र कर रहा था। घायलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही थी। लिहाजा, स्वयंसेवक मोटरसाइकिल, ट्रैक्टर ट्रॉली और आटो से ही घायलों को नजदीकी अस्पतालों में पहुंचाने लगे। जब तक प्रशासनिक अमला वहां नहीं पहुंचा, तब तक स्वयंसेवक ही स्थानीय लोगों की सहायता से डिब्बों में फंसे यात्रियों को निकालने व अस्पताल पहुंचाने में जुटे रहे।
इसी बीच, सूचना पाकर बालेश्वर व भद्रक जिले के स्वयंसेवक भी आ गए। शाम को शुरू में जहां 14-15 स्वयंसेवक घटनास्थल पर थे, रात होते-होते उनकी संख्या बढ़कर लगभग ढाई सौ हो गई। इसके बाद जब प्रशासन और राहतकर्मी आए तब स्वयंसेवकों ने उनकी भी सहायता की। संघ के सह विभाग प्रचारक विष्णु नायक दुर्घटनास्थल पर उपस्थित रहे।
बालेश्वर जिले के स्वयंसेवक रमेश और प्रभास बहादुरी से बचाव कार्यों में जुटे रहे। हादसे में ट्रेन की तीन बोगियां एक-दूसरे के ऊपर चढ़ी हुई थीं। ऐसे में उनमें फंसे लोगों को निकालना दुष्कर काम था। बचाव दल के कर्मी भी बोगी पर चढ़ने से ठिठक रहे थे, लेकिन रमेश व उसके साथी स्वयंसेवक बेझिझक ऊपर चढ़कर डिब्बों के अंदर फंसे यात्रियों को निकालने लगे। इसके बाद एनडीआरएफ सहित अन्य बचाव टीमें भी आ गईं। रमेश की बहादुरी देखकर आसपास के क्षेत्र के लोग उनकी अभी भी प्रशंसा कर रहे हैं।
घायल यात्रियों को अस्पताल पहुंचाने की प्रक्रिया शुरू होने के बाद उनकी देखभाल करना, उन्हें आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराने, रक्त की आवश्यकता को पूरा करने के साथ पीड़ितों के परिवारों तक सूचना भी स्वयंसेवक पहुंचा रहे थे। बालेश्वर विभाग के प्रचारक चंद्रशेखर महापात्र बालेश्वर स्थित जिला मुख्यालय अस्पताल में उपस्थित रहे और सेवा कार्यों की निगरानी की। भद्रक जिला मुख्यालय अस्पताल व सोरो स्थित मेडिकल अस्पताल में भी स्वयंसेवकों ने मोर्चा संभाला।
संघ के स्वयंसेवकों ने घायल यात्रियों के लिए रक्तदान करने के साथ-साथ दूसरों से भी रक्तदान कराया। जब घायल यात्रियों को रक्त की आवश्यकता पड़ी, तो एक व्हाट्सएप समूह में रात करीब सवा नौ बजे संदेश डाला गया। इसके बाद सैकड़ों स्वयंसेवक समाज के अन्य युवाओं को लेकर बालेश्वर जिला मुख्यालय अस्पताल और दूसरे अस्पतालों में रक्तदान के लिए पहुंचने लगे। रात में अस्पताल में रक्तदान करने वाले उत्साही युवकों की लंबी-लंबी कतारें देखकर चिकित्सक भी हैरान रह गए।