पंजाब में धमाकों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य के सीमावर्ती जिले बटाला के किला लाल सिंह थाने में देर रात तीन धमाके हुए। धमाकों की आवाज सुनकर इलाके के लोग सहम गए। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। थाने पर हमले की जिम्मेदारी हैप्पी पशियां ग्रुप ने ली है। फिलहाल पुलिस इस मामले में कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।डीएसपी और थाना प्रभारी मौके पर पहुंचे और जांच शुरू की। लोगों का कहना है कि धमाके इतने जोरदार थे कि रात में गहरी नींद में सो रहे लोग अचानक जाग गए। वहीं फिलहाल इस मामले में पुलिस कुछ भी बताने को तैयार नहीं है।
डीएसपी फतेहगढ़ चूडय़िां विपन कुमार और थाना प्रभारी प्रभजोत सिंह ने पुलिस पार्टी के साथ मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। एसएचओ प्रभजोत सिंह ने बताया कि 6-7 अप्रैल की दरमियानी रात करीब 12.35 बजे लगातार तीन धमाकों की आवाज सुनकर थाने में तैनात पुलिसकर्मी एकदम से सतर्क हो गए। थाने में तैनात पुलिसकर्मियों ने बाहर निकल कर देखा लेकिन उन्हें हमले जैसी कोई वस्तु नहीं मिली। फिलहाल पुलिस मामले को लेकर कुछ ज्यादा बताने को तैयार नहीं है। वहीं थाने पर हमले की जिम्मेदारी हैप्पी पशियां ग्रुप ने ली है।
सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट में लिखा गया है कि किला लाल सिंह थाने पर हमले की जिम्मेदारी मैं हैप्पी पशियां, मनु अगवान और गोपी नवांशहरिया लेते हैं। यह हमला उनका बदला है, जिन्हें पुलिस ने पीलीभीत और बटाला में मुठभेड़ में मारा था। इन मामलों में जिन भी पुलिस अधिकारियों व मुलाजिमों का नाम सामने आएगा, उन्हें सबक सिखाया जाएगा। ये हमले तब तक जारी रहेंगे, जब तक पुलिस सिखों के साथ धक्केशाही बंद नहीं करती। सरकार के अत्याचार का जवाब इसी तरह से मिलता रहेगा।
हैप्पी पशियां ग्रुप कौन है?
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एक गैंगस्टर और उग्रवादी गिरोह, जो खुद को सिखों के “अधिकारों के रक्षक” के रूप में पेश करता है।
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इस ग्रुप के तार खालिस्तानी नेटवर्क, गैंगस्टर लॉबी, और संभावित विदेशी फंडिंग से जुड़े माने जाते हैं।
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इससे पहले भी सोशल मीडिया पर धमकी भरे वीडियो और पोस्ट शेयर किए गए हैं।
पिछली घटनाएं:
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कुछ महीनों पहले पीलीभीत (उत्तर प्रदेश) और बटाला (पंजाब) में पुलिस मुठभेड़ों में इस गिरोह के कुछ सदस्य मारे गए थे।
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यह हमला उनका प्रतिशोध बताया जा रहा है।
खतरनाक संकेत:
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आतंकी मॉड्यूल का पुनर्गठन: सीमावर्ती जिलों में इस तरह के धमाके दिखाते हैं कि छोटे-छोटे सेल एक्टिव हो रहे हैं।
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सोशल मीडिया का इस्तेमाल: संगठनों द्वारा खुलेआम पोस्ट डालकर धमकी देना, सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा सिरदर्द है।
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सिख समुदाय का इस्तेमाल: “सिखों के साथ धक्केशाही” जैसे शब्दों का प्रयोग कर सांप्रदायिक भावनाएं भड़काने की कोशिश।
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विदेशी लिंक की आशंका: पाकिस्तान से सटे इलाकों में ऐसी गतिविधियों के पीछे अक्सर ISI या अन्य विदेशी एजेंसियों की भूमिका रहती है।
सरकार और एजेंसियों के लिए सुझाव:
सुझाव | विवरण |
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NIA/NIB जांच | राष्ट्रीय जांच एजेंसी को इस मामले में शामिल करना चाहिए |
सोशल मीडिया मॉनिटरिंग | Telegram, Instagram, WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी बढ़े |
सीमा सुरक्षा कड़ी | BSF और स्थानीय इंटेलिजेंस को अलर्ट पर रखा जाए |
पुलिस बल का मनोबल बनाए रखना | पुलिसकर्मियों को सुरक्षा और मनोबल के लिए प्रशिक्षित करना |
सामाजिक एकता बनाए रखना | किसी भी समुदाय को टारगेट करने की बजाय, एकजुटता का संदेश देना |
यह घटना कोई सामान्य शरारत नहीं, बल्कि एक सुनियोजित आतंकवादी मनोवृत्ति का संकेत है। ऐसे गिरोहों और संगठनों को सिर्फ कानूनी कार्रवाई से नहीं, बल्कि सामाजिक और साइबर स्तर पर भी जवाब देना जरूरी है।