राजस्थान के कोटा जिले के मोतीपुरा गाँव में ईसाई मिशनरी द्वारा 50 महिलाओं, बच्चों और पुरुषों का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा था । इतना ही नहीं हिन्दू देवी देवताओं की तस्वीरों को नाले में फेंकने की बात कह रहे थे। पुलिस ने इस मामले में ईसाई मिशनरी के जॉन मैथ्यू के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने, धमकाने और लालच देकर धर्मपरिवर्तन करवाने का मामला दर्ज किया है। आरोप है कि जॉन मैथ्यू ने भील समाज के गरीबों को विदेश घुमने का मौका देने, घर बनाने और आर्थिक मदद देने का प्रलोभन दिया था। भील समाज के दो लोगों ने पुलिस को इसकी शिकायत की थी।
घटना का सारांश: कोटा, राजस्थान | 21 अप्रैल 2025
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स्थान: मोतीपुरा गांव, कोटा जिला
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मुख्य आरोपी: ईसाई मिशनरी जॉन (या जॉय) मैथ्यू
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आरोप:
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भील समाज के करीब 50 लोगों का जबरन या लालच देकर धर्म परिवर्तन कराना
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हिंदू देवी-देवताओं के अपमान की बात – तस्वीरें नाले में फेंकने को कहना
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राशन, मकान और विदेश यात्रा का लालच देकर ईसाई धर्म अपनाने को प्रेरित करना
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बजरंग दल का हस्तक्षेप:
सूचना मिलने पर मौके पर पहुँचकर प्रार्थना सभा का विरोध, हंगामा -
पुलिस की कार्रवाई:
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धार्मिक भावनाएं आहत करना, धमकाना, और धर्मांतरण कानूनों का उल्लंघन – इन धाराओं में मामला दर्ज
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विदेशी नागरिक (मैथ्यू का दामाद) के खिलाफ विदेशी विषयक अधिनियम 1946 के तहत मामला
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मैथ्यू और उसके दामाद हिरासत में, गाँव में पुलिस बल तैनात
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कानूनी दृष्टिकोण: संभावित धाराएं
कानून | विवरण |
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🔸 राजस्थान धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2021 | बल, लालच या धोखे से धर्म परिवर्तन कराना अपराध |
🔸 IPC धारा 295A | धार्मिक भावनाओं को जानबूझकर आहत करना |
🔸 IPC धारा 506 | धमकाना या डराना |
🔸 विदेशी विषयक अधिनियम, 1946 | टूरिस्ट वीजा का धार्मिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग |
सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू:
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आदिवासी समाज (भील समुदाय) अक्सर सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर माना जाता है, और इसी कारण उन्हें लक्ष्य बनाकर धर्मांतरण के प्रयास किए जाने के कई मामले देश भर में सामने आते हैं।
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इस घटना ने एक बार फिर विवादित धर्मांतरण गतिविधियों पर जनता, धार्मिक संगठनों और प्रशासन का ध्यान केंद्रित कर दिया है।
महत्वपूर्ण प्रश्न जो उठते हैं:
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क्या ईसाई मिशनरी द्वारा दिया गया “सहायता” वास्तव में सेवा थी या धर्म परिवर्तन का उपकरण?
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विदेशी नागरिकों का वीज़ा उल्लंघन कितना गंभीर है, और उनके खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई हो सकती है?
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राजस्थान सरकार क्या अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में भी निगरानी बढ़ाएगी, जहाँ धर्मांतरण की आशंका है?
विश्लेषण:
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इस घटना ने एक बार फिर धर्मांतरण को लेकर चल रही राजनीतिक और वैचारिक बहस को तेज किया है।
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विपक्ष इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर अंकुश कह सकता है, वहीं सत्तारूढ़ दल इसे “लव जिहाद” और “धर्मांतरण” के खिलाफ कार्रवाई के रूप में प्रोजेक्ट कर सकता है।
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यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह मामला विदेशी संगठनों की धार्मिक गतिविधियों पर कठोर निगरानी और विवेकपूर्ण सरकारी हस्तक्षेप की मांग को बल देगा।