राजस्थान के जैसलमेर के रेतीले इलाके में बोरिंग के दौरान एक जगह नीचे से पानी का स्रोत फूट पड़ा। यह बोरिंग भाजपा नेता के खेत में हो रही थी। जमीन के नीचे से आया पानी दबाव के साथ 10-15 फीट हवा में उछल कर निकल कर रहा है। इसके चलते आसपास का इलाका जलमग्न है। तीन दिन से लगातार पानी और गैस जमीन के नीचे से निकल रहे हैं। लोग इसे विलुप्त हो चुकी सरस्वती नदी का इलाका बता रहे हैं। यहाँ तेल और गैस के क्षेत्र में मेंकाम करने वाली सरकारी कंपनी ONGC के लोग भी पहुँचे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जैसलमेर के मोहनगढ़ में विक्रम सिंह ने खेतों की सिंचाई के लिए शनिवार (28 दिसम्बर, 2024) को एक बड़ी मशीन से बोरिंग चालू करवाई थी। शनिवार को यह बोरिंग लगभग 850 फीट की गहराई तक पहुँच चुकी थी। इसी दौरान एकाएक जमीन से पानी की धार फूट पड़ी। इसी के साथ तेजी से गैस का रिसाव भी चालू हो गया। पानी कि यह धार जमीन से10 फीट ऊँचाई को छूने लगी। इसके चलते यहाँ काम कर रहे लोग डर गए और यहाँ से भाग गए।
बोरिंग के लिए ट्रक पर स्थापित की गई मशीन भी पानी में समा गई। यह पानी का रिसाव शनिवार के बाद रविवार को भी चालू रहा। थोड़े-थोड़े समय के बाद यहाँ पानी का फव्वारा फूटता रहा। विक्रम सिंह के खुद के खेत समेत आसपास के खेत भी जलमग्न हो गए। पानी की धार ना रुकने पर लोगों ने प्रशासन को सूचना दी। इसके बाद प्रशासन ने आसपास का 500 मीटर का इलाका खाली करवा लिया। मौके पर विशेषज्ञों की एक टीम बुलाई गई। ONGC की एक टीम ने भी रविवार को यहाँ का दौरा किया।
ONGC की टीम ने बताया है कि यहाँ से निकल रही गैस खतरनाक नहीं है और उसमें जहरीले केमिकल नहीं हैं। ONGC ने कहा है कि ऑयल इंडिया लिमिटेड की टीम अपनी मशीनों से इस रिसाव को बंद करेगी। अभी उस घटना स्थल पर कीचड़ हो गया है। भूवैज्ञानिकों ने इसे सामान्य घटना करार दिया है। उन्होंने बताया है कि जहाँ बोरिंग हुई, वहाँ नीचे कठोर चट्टानें हैं और उसके नीचे पानी है। चट्टानों में बने दबाव और गैस की वजह से पानी ऊपर अधिक प्रेशर से आ रहा है, कुछ समय में पानी का स्तर सही हो सकता है।वहीं कुछ स्थानीय लोगों और VHP के प्रवक्ता विनोद बंसल ने इस पानी के स्रोत को सरस्वती नदी का विलुप्त स्रोत बताया है। वैज्ञानिकों से इस दावे को मानने से इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि बिना जाँच के ली इस विषय में कुछ नहीं कहा जा सकता।
सोमवार सुबह 7 बजे पानी निकलना हुआ बंद
फिर शाम को केयर्न वेदा इंडिया कम्पनी, ओएनजीसी और ऑयल इंडिया कम्पनी के कर्मचारी मौके पर पहुंचे। लेकिन मामला उनकी भी समझ से परे रहा। रविवार को भी रातभर बहने के बाद सोमवार को सुबह करीब सात बजे यह पानी अपने आप थम गया। लेकिन इतना पानी प्रेशर से कैसे निकला किसी को समझ नहीं आया। सोमवार को सुबह जब पानी थमा तक प्रशासन और खेत मालिक ने राहत की सांस ली। इस पानी और वहां की मिट्टी के सेम्पल लिए गए हैं। उनकी जांच कराई
फिर रिसाव की आशंका
हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इस जगह किसी भी वक्त रिसाव फिर से शुरू हो सकता है। ऐसे में जहरीली गैस का भी रिसाव हो सकता है। उन्होंने कहा कि जमीन धंसने और विस्फोट होने की संभावना बनी हुई है इसलिए जिला कलेक्टर ने क्षेत्र में धारा 163 लगाई थी, जो कि अभी भी प्रभावी है।
काश्तकार को किया पाबंद
उन्होंने आम जनता से अपील की है कि कोई भी ग्रामीण ट्यूबवेल के 500 मीटर के क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेगा। इसके साथ ही मवेशियों को भी क्षेत्र में जाने से रोकने की बात कही है। उन्होंने बताया कि खेत के काश्तकार को पाबंद किया है कि जब तक विशेषज्ञों की राय न आए, तब तक फंसे हुए उपकरणों को बाहर निकालने की कोशिश न करें।