अब राजस्थान में भी अवैध तरीके से धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने की तैयारी की जा रही है. इसी मामले में भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा किया है. हलफनामा दाखिल कर राजस्थान सरकार ने कहा कि वह राज्य में अवैध तरीके से धर्मांतरण के खिलाफ कानून लाने जा रही है. राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा कि राजस्थान राज्य अपना खुद का कानून लाने की प्रक्रिया में है.
हालांकि, जब तक कानून लागू नहीं हो जाता, राज्य मौजूदा कानूनों और सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी किसी भी दिशानिर्देश या निर्देश का सख्ती से पालन करेगा. हलफनामे में कहा गया है कि राजस्थान में एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तन के संबंध में कोई विशिष्ट कानून नहीं है. राजस्थान अपना कानून लाने की प्रक्रिया में है.
सख्त कानून की तैयारी
राजस्थान में कांग्रेस को हराकर बीजेपी सत्ता में आई, जिसके बाद अब राजस्थान में भी बीजेपी उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और उत्तारखंड सहित बीजेपी शासित राज्यों की तरह सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून बनाने में जुट गई है. हालांकि, बीजेपी सरकार के उलट राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सख्त धर्मांतरण विरोधी कानून के खिलाफ थे. अशोक गहलोत बीजेपी शासित राज्यों में लागू धर्मांतरण विरोधी कानूनों के मुखर आलोचक थे. गहलोत ने तर्क दिया था कि इस तरह के कानून के गलत इस्तेमाल की संभावना है और साथ ही उन्होंने इस मुद्दे पर व्यक्तिगत स्वतंत्रता के उल्लंघन की बात भी कही थी.
किसने दाखिल किया हलफनामा
यह हलफनामा वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की एक याचिका के जवाब में दायर किया गया है, जिन्होंने देश भर में सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित लोगों के कथित सामूहिक धर्मांतरण के मद्देनजर जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है.
2006 में बनाया था सख्त कानून
राजस्थान में 2006 में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान एक धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया गया था. लेकिन राज्य विधानसभा से पारित होने के बावजूद राज्यपाल और राष्ट्रपति की सहमति न होने की वजह से लागू नहीं हो सका. हालांकि दिसंबर 2017 में हाईकोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देशों का एक सेट अंतर-धार्मिक विवाहों में राज्य मशीनरी द्वारा जांच और पूर्व अनुमोदन की अनुमति देता है.