राजस्थान हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: स्कॉलरशिप अब सिर्फ ज़रूरतमंदों के लिए
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‘स्वामी विवेकानंद स्कॉलरशिप फॉर हाई स्टडीज’ योजना के तहत सरकार विदेश में उच्च शिक्षा पाने वाले छात्रों को आर्थिक सहायता देती है।
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पहले यह योजना ‘राजीव गांधी स्कॉलरशिप’ के नाम से जानी जाती थी।
हाईकोर्ट का आदेश:
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25 लाख रुपए से अधिक सालाना आय वाले छात्रों (E3 कैटेगरी) को अब इस योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
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यह अंतरिम आदेश जस्टिस अनूप कुमार ढांड ने जारी किया।
मुख्य तर्क:
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💸 “अमीरों पर सरकारी खजाना खर्च नहीं हो सकता”
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कोर्ट ने कहा कि करदाताओं के पैसे उन छात्रों पर लुटाए जा रहे हैं जिन्हें जरूरत नहीं है।
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🧠 “योग्यता का मूल्य नहीं, बस साधन देखे जा रहे हैं”
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कोर्ट ने पाया कि “उत्कृष्ट अकादमिक रिकॉर्ड को मापदंड नहीं बनाया गया”, जिससे औसत छात्र भी लाभ पा रहे हैं।
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⚖️ “स्कॉलरशिप का मूल उद्देश्य विफल हो रहा है”
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योजना को जरूरतमंदों की मदद के लिए बनाया गया था, लेकिन उसका लाभ संपन्न परिवारों को दिया जा रहा है।
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आय श्रेणियां:
श्रेणी | पारिवारिक आय | पात्रता स्थिति |
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E1 | ₹8 लाख से कम | पात्र |
E2 | ₹8 लाख – ₹25 लाख | पात्र |
E3 | ₹25 लाख से अधिक | अस्थायी रूप से अयोग्य |
कोर्ट की टिप्पणी:
“छात्रवृत्तियाँ केवल आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि जीवन बदलने वाले अवसर हैं। अगर इन्हें अमीरों के लिए रास्ता बना दिया जाए तो यह अन्याय है।”
आगे क्या?
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कोर्ट ने सरकार से पूछा:
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“क्यों न इस योजना को बंद किया जाए?”
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“क्यों न इसे योग्यता और वास्तविक आवश्यकता के आधार पर पुनर्निर्मित किया जाए?”
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नैतिक और प्रशासनिक संदेश:
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यह निर्णय कल्याणकारी योजनाओं के सही लक्ष्य निर्धारण की आवश्यकता पर बल देता है।
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यह बताता है कि लोक कल्याण योजनाएं केवल नीति नहीं, बल्कि न्याय की जिम्मेदारी भी हैं।