राजस्थान के सिरोही जिले में धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालने और प्रताड़ना का यह मामला न केवल गंभीर है, बल्कि यह समाज में धार्मिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों पर एक गंभीर प्रश्न भी खड़ा करता है। महिला के साथ जो अमानवीय व्यवहार किया गया, वह निंदनीय और कानून के विपरीत है।
मामले का सारांश:
- शिकायत का विवरण:
- पीड़िता के पिता जगसी राम द्वारा दर्ज शिकायत के अनुसार, उनकी बेटी पर ससुराल वालों द्वारा ईसाई धर्म अपनाने का दबाव डाला गया।
- धर्म परिवर्तन से इनकार करने पर उसे जंजीरों से बाँधा गया, मारपीट की गई, और मानसिक यातनाएँ दी गईं।
- पीड़िता को उसके नवजात बच्चे से अलग कर दिया गया, जिससे उसकी मानसिक और शारीरिक स्थिति खराब हो गई।
- धार्मिक दबाव:
- महिला के पति दीपाराम पर आरोप है कि वह सोशल मीडिया पर ईसाई धर्म का प्रचार करता था और पत्नी पर भी ईसाई बनने के लिए दबाव डालता था।
- जब महिला ने खुद को हिंदू बताते हुए धर्म परिवर्तन से इनकार किया, तो उसे टॉर्चर किया गया।
- महिला की स्थिति:
- अत्यधिक यातना के कारण महिला की मानसिक स्थिति खराब हो गई है। वह चलने-फिरने में असमर्थ है और उसे मेडिकल सहायता की आवश्यकता है।
- पुलिस कार्रवाई:
- अनादरा थाना क्षेत्र में शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले की जाँच शुरू कर दी है।
सिरोही जिले के अनादरा थाना क्षेत्र के धानेरा गांव में धर्म परिवर्तन का मामला सामने आया, ईसाई धर्म अपनाया और बहूं ने विरोध किया तो बहू पर अत्याचार किया और जन्म देते ही पीड़ित की बच्ची को मां से अलग किया,@BhajanlalBjp @RajCMO @lumbaram64 @otaramjidewasi @GirilMBhatia pic.twitter.com/yn74Zg23Ll
— SANJAY SINGH DEORA PITHAPURA (@SanjayPithapura) December 2, 2024
कानूनी दृष्टिकोण:
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत हर नागरिक को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है। किसी पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालना गैरकानूनी है।
- प्रताड़ना और हिंसा:
- भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत:
- महिला पर हिंसा और प्रताड़ना के लिए धारा 498A।
- जबरन धर्म परिवर्तन के लिए धारा 295A (धार्मिक भावनाओं का अपमान)।
- जंजीरों से बाँधने और यातना देने के लिए धारा 342 (अवैध बंधक)।
- भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत:
- राजस्थान में धर्मांतरण कानून:
- राजस्थान सरकार ने जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कानून लागू किए हैं। इस मामले में यह कानून भी लागू हो सकता है।
समाज और प्रशासन की जिम्मेदारी:
- पीड़िता की सहायता:
- महिला को तत्काल चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए।
- पुलिस को मामले की निष्पक्ष और तेज जाँच करनी चाहिए।
- धार्मिक कट्टरता पर लगाम:
- समाज में धार्मिक कट्टरता और जबरन धर्म परिवर्तन की प्रवृत्ति को रोकने के लिए सामाजिक जागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।
- प्रशासन और पुलिस को ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
- सामाजिक संतुलन:
- धार्मिक मामलों में किसी भी प्रकार का ज़बरदस्ती या दबाव भारतीय समाज की सहिष्णुता और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है।
दीपाराम के अलावा जेठ शंकर, उमाराम, जेठानी फूली देवी, मंजू और परिवार के अन्य सदस्य भी महिला को प्रताड़ित करने लगे। कथित तौर पर ये सभी लोग ईसाई बन चुके हैं और प्रार्थनाओं में भी शामिल होते थे। प्रताड़ना के बाद भी जब महिला धर्मांतरण को तैयार नहीं हुई तो ससुराल के लोगों ने उसे जंजीरों से बाँध दिया। उसे उसके बच्चे से अलग कर दिया।
महिला को टॉर्चर किए जाने की जानकारी मिलने पर उसके मायके वाले ससुराल पहुँचे। महिला को जंजीरों से मुक्त करवाया और मायके ले आए। इसके बाद पुलिस को शिकायत दी गई। शिकायत में बताया गया है कि अत्याचार से पीड़िता की मानसिक हालत खराब हो गई है। पीड़िता ठीक से चल-फिर भी नहीं पा रही है। पुलिस ने मामले का संज्ञान ले कर जाँच शुरू कर दी है। पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार बेनीवाल के मुताबिक जाँच से निकले तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।