भारत में आयोजित होने जा रहे पहले खो-खो वर्ल्ड कप का आयोजन एक ऐतिहासिक क्षण है, जो इस पारंपरिक भारतीय खेल को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह प्रतियोगिता 13 से 19 जनवरी, 2025 तक दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में आयोजित होगी।
मुख्य बिंदु:
टूर्नामेंट की विशेषताएं:
- शुभंकर और ट्रॉफी का अनावरण:
- पुरुषों की चैंपियनशिप के लिए नीली ट्रॉफी।
- महिलाओं की चैंपियनशिप के लिए हरी ट्रॉफी।
- आधिकारिक शुभंकर: ‘तेजस’ और ‘तारा’, जो खेल की गति और चपलता का प्रतीक हैं।
- टीमों की भागीदारी:
- पुरुष वर्ग: 21 टीमें।
- महिला वर्ग: 20 टीमें।
- ओपनिंग सेरेमनी:
- टूर्नामेंट की शुरुआत एक भव्य उद्घाटन समारोह के साथ होगी।
- प्रतिभागी महाद्वीप:
- सेक्रेटरी सुधांशु मित्तल ने बताया कि हर महाद्वीप से कम-से-कम एक टीम इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले रही है। कुल 24 देशों की भागीदारी है।
मैच और ग्रुप वितरण:
- भारतीय पुरुष टीम का पहला मैच नेपाल के खिलाफ 13 जनवरी को होगा।
- महिला टीम का पहला मुकाबला 14 जनवरी को साउथ कोरिया के खिलाफ होगा।
पुरुष टीम के ग्रुप:
- ग्रुप-ए:
- भारत, नेपाल, पेरू, ब्राजील, भूटान।
- ग्रुप-बी:
- दक्षिण अफ्रीका, घाना, अर्जेंटीना, नीदरलैंड, ईरान।
- ग्रुप-सी:
- बांग्लादेश, श्रीलंका, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, पोलैंड।
- ग्रुप-डी:
- इंग्लैंड, जर्मनी, मलेशिया, ऑस्ट्रेलिया, केन्या।
महिला टीम के ग्रुप:
- ग्रुप-ए:
- भारत, ईरान, मलेशिया, साउथ कोरिया।
- ग्रुप-बी:
- इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, केन्या, युगांडा, नीदरलैंड।
- ग्रुप-सी:
- नेपाल, भूटान, श्रीलंका, जर्मनी, बांग्लादेश।
- ग्रुप-डी:
- दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, पोलैंड, पेरू, इंडोनेशिया।
नॉकआउट संरचना:
- प्रत्येक ग्रुप से शीर्ष दो टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंचेंगी।
- इसके बाद सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले होंगे।
खेल का विस्तार और महत्व:
- वैश्विक पहचान: यह वर्ल्ड कप खो-खो को एक पारंपरिक खेल से वैश्विक खेल में बदलने का अवसर प्रदान करता है।
- नवीनतम विकास:
- अब तक 4 लाख बच्चों ने इस खेल से जुड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है।
- खेल की जड़ों (माटी) से आधुनिक प्लेटफॉर्म (मेट) तक की यात्रा को दर्शाता है।
- भारतीय खेल संस्कृति: भारत में खो-खो की परंपरा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे देश की सांस्कृतिक विरासत भी मजबूत होगी।
उम्मीदें और रोमांच:
इस आयोजन से न केवल खेल को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि यह भारत की मेज़बानी क्षमता और खेल के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करेगा। भारतीय टीम के प्रदर्शन पर पूरे देश की नजरें होंगी, और यह टूर्नामेंट युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।