IPL ट्रॉफी से कहीं भारी है कोहली के उन आंसुओं का वजन- उन्हें न रोकने के लिए शुक्रिया
1. शुरुआत में भावना का विस्फोट: “इंसान कब रोता है?” – यह किसी भी पाठक को भावनात्मक स्तर पर जोड़ने वाला प्रश्न है। इससे लेख की आत्मा झलकने लगती है कि ये सिर्फ क्रिकेट की जीत की कहानी नहीं है, बल्कि ...