आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस यानी एआई की चर्चा इन दिनों हर तरफ हो रही है. एआई के इस्तेमाल को लेकर सबसे ज्यादा बहस इस बात पर है कि ये आने वाले दिनों में लोगों के जॉब्स पर क्या असर डालेगा. अब इसे लेकर केंद्र सरकार की ओर से एक बड़ा बयान दिया गया है. कहा गया है कि एआई से अगले 5 से 7 साल तक जॉब्स को कोई खतरा नहीं होगा.
आईटी मंत्री राजीव शेखर का कहना है कि एआई या किसी अन्य रेग्युलेशन को लेकर भी सरकार की मंशा साफ है. हम इस तकनीक को ‘यूजर्स को नुकसान ना पहुंचे’ के दृष्टिकोण से रेग्युलेट करेंगे. ये एक नई विचारधारा है, जो 2014 से जारी है. इसमें हमारा पूरा जोर अपने डिजिटल नागरिकों के हितों की रक्षा करने पर रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे किसी भी प्लेटफॉर्म को अनुमति नहीं देगी, जो देश में डिजिटल नागरिकों को नुकसान पहुंचाएं. अगर एआई कंपनियों को यहां काम करना है, तो उन्हें यूजर्स को उससे होने वाले नुकसान कम करना होगा.
ओपनएआई के फाउंडर और सीईओ सैम ऑल्टमैन की भारत यात्रा का जिक्र करते हुए राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि उनका यहां आना भारत की उभरती तकनीकों पर काम करने की क्षमता को दिखाता है.
अपनी भारत यात्रा के दौरान सैम ऑल्टमैन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. वहीं उनकी एक चुनौती का जवाब टेक महिंद्रा के सीईओ सी.पी. गुरनानी ने दिया है.
दरअसल सैम ऑल्टमैन ने कहा था कि भारतीय आईटी कंपनियां एआई जैसी टेक्नोलॉजी को लेकर सिलिकॉन वैली की समान कंपनियों से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाएंगी. इसके जवाब में सी.पी. गुरनानी ने कहा कि उन्हें ‘चुनौती स्वीकार’ है.