राजस्थान में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की। 200 सदस्यीय विधानसभा में अब जहाँ भाजपा के 115 विधायक होंगे, वहीं अब तक सत्ता में रही कॉन्ग्रेस 69 पर सिमट गई है। इसी तरह मध्य प्रदेश में भाजपा ने 163 सीटें जीत कर कॉन्ग्रेस को मात्र 66 पर समेट दिया। वहीं इस बीच एक तीसरी पार्टी BAP (भारत आदिवासी पार्टी) की भी सफलता के चर्चे हैं। BAP ने राजस्थान के चुनाव में 3 सीटें और मध्य प्रदेश में 1 सीट अपने नाम कर ली हैं।
इस पार्टी ने धरियावद, असपुर और चौरासी विधानसभा सीटें अपने नाम की हैं। इतनी सीटें बसपा या फिर RLD को भी नहीं मिली हैं जो वहाँ पहले से जमी-जमाई पार्टियाँ हैं। इस दल का गठन विधानसभा चुनाव से 3 महीने पहले ही हुआ था। दिल्ली और पंजाब में जिस AAP की सत्ता है, उसके पूरा जोर लगाए जाने के बावजूद उसका एक भी उम्मीदवार राजस्थान में नहीं जीता लेकिन BAP ने 3 सीटें अपने नाम कर लीं। हालाँकि, ऐसे दलों का उभरना भाजपा और कॉन्ग्रेस के लिए नुकसानदेह ही है, क्योंकि जनजातीय समाज के बीच आगे जाकर ये पैठ बना सकते हैं।
BAP ‘भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP)’ से निकली है। कुछ जनजातीय समाज के नेताओं ने BPP को तोड़ कर BAP का गठन किया। BTP भी ज़्यादा पुरानी पार्टी नहीं हैं, इसका गठन 6 वर्ष पूर्व ही हुआ था। राजस्थान-मध्य प्रदेश के जनजातीय समाज के प्रभाव वाले इलाकों में इन्होंने छाप छोड़ी और कॉन्ग्रेस-भाजपा को कड़ी टक्कर दी। इन दोनों राज्यों के अलावा गुजरात और महाराष्ट्र के भी कई कार्यकर्ता BAP में शामिल हुए हैं। पार्टी ने 27 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे।
राजस्थान के डूंगरपुर स्थित चौरासी विधानसभा क्षेत्र के विधायक राजकुमार रोत और वहीं के सागवाड़ा के विधायक रहे रामप्रसाद डिंडोर ने मिल कर इस पार्टी को शुरू किया था। रोत ने दावा किया कि BTP को कॉन्ग्रेस-भाजपा ने हाईजैक कर लिया था, इसीलिए उन्हें अलग होना पड़ा। BAP जनजातीय समाज को शिक्षा-स्वास्थ्य जैसी सुविधाएँ देने के अलावा प्रदूषण से लड़ने और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए भी आवाज़ उठाने का दावा करती है।
BAP खुद को पर्यावरण फ्रेंडली पार्टी बताती है। वो कहती है कि उसका लक्ष्य है जल, जंगल, जमीन, जनजातीय समाज और प्रकृति के लिए काम करना। BAP ने 12 राज्यों की 250 सीटों पर अपनी उपस्थिति बना ली है। 32 वर्षीय राजकुमार रोत युवा हैं और 2018 राजस्थान विधानसभा चुनाव में चुने जाने वाले सबसे युवा विधायक थे। इस बार उन्होंने 66,166 वोटों से बड़ी जीत दर्ज की है। वहीं रतलाम के सैलाना सीट से कमलेश्वर डोडियार ने जीत दर्ज की है।
उन्होंने कर्ज लेकर चुनाव लड़ा था। वो राजनीति में आने के लिए 2 बार सरकार नौकरी छोड़ चुके हैं। उन्होंने कोटा में मजदूरी तक की। चंदा लेकर चुनाव लड़ा। वो अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को प्रेरणा मानते हैं। उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय से पढ़े कमलेश्वर डोडियार के जीवन में ऐसे हालात भी आए जब उन्हें माँग कर भोजन करना पड़ा। वो पेशे से वकील हैं और दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) से LLB भी कर रहे हैं। उन्होंने कॉन्ग्रेस के हर्ष विजय गहलोत को हराया है। उन पर बलात्कार का मामला भी है, जिसके लिए वो जेल जा चुके हैं।
हालाँकि, उनका कहना है कि ये कॉन्ग्रेस विधायक से जुड़े लोगों की साजिश थी जिसके तहत लड़की से उनकी सगाई तय हुई और फिर तोड़ दी गई। उन्होंने बताया कि उनकी राजनीति खत्म करने के लिए ये मामला दर्ज कराया गया था और नामांकन से 8 दिन पहले वो छूटे। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा उन्हें मंत्री बनाती है तो लोकसभा चुनाव में जनजातीय समाज के क्षेत्रों में पार्टी के लिए काम करूँगा। उन्होंने कहा कि वो भाजपा नेतृत्व से मिल कर अपनी बात रखेंगे।