अग्निवीर अमृतपाल सिंह की मौत के बाद सेना की ओर से उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया यानी की अमृतपाल को सैन्य अंतिम संस्कार नहीं मिला. मृतक अग्निवीर पंजाब के मानसा जिले के गांव कोटली के रहने वाले थे. उनके पिता ने इसे लेकर सवाल उठाए हैं, जिस पर अब विवाद शुरू हो गया है और राजनीति भी तेज हो गई है. पंजाब में विपक्षी दलों ने सैन्य अंतिम संस्कार नहीं देने पर हैरानी जताई है. वहीं सेना के अनुसार हर साल करीब 140 मामले ऐसे हो रहे हैं. जब हर साल होने वाले ऐसे मामले में सेना की ओर से मृतक सैनिक को ऑफ ऑनर नहीं दिया गया, तो अग्निवीर अमृतपाल की मौत पर विवाद क्यों हो रहा है.
यूपी के मुरादाबाद से साप सांसद एसटी हसन ने भी इसे लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि मृतक अग्निवीर को शदीह का दर्जा इसलिए नहीं दिया गया कि सिर्फ वह चार साल के लिए सेना भी भर्ती हुए थे. आम आदमी पार्टी के राज्य सभी सासंद राघव चड्ढा ने भी इसे लेकर केंद्र सरकार से सवाल किया है. उन्होंने कहा कि हमने तो पहले ही इस योजना को लागू करने से मना किया था. यह एक खतरनाक प्रयोग है.
कब सेना में शामिल हुए अमृतपाल सिंह ?
19 वर्षीय अमृतपाल सिंह दिसंबर 2022 में अग्निपथ स्कीम के तहत सेना में अग्निवीर बने थे और जम्मू-कश्मीर में उन्हें तैनाती दी गई थी. वह 11 अक्टूबर 2023 को एक अग्रिम चौकी पर मृत पाए गए थे. सेना ने उनके शव को जूनियर कमीशंड अधिकारी और चार अन्य जवानों से साथ उनके घर भेज दिया, लेकिन सेना की ओर से मृतक अग्निवीर को सैन्य अंतिम संस्कार नहीं दिया गया.
Unfortunate Death of Agniveer Amritpal Singh on 11 Oct 2023.
There has been some misunderstanding and misrepresentation of facts related to unfortunate death of Agniveer Amritpal Singh.
Further to the initial information given out by White Knight Corps on 14 Oct 2023,… pic.twitter.com/6rhaOu3hN8
— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) October 15, 2023
भारतीय सेना ने सोशल मीडिया एक्स पर इस संबंध में एक बयान जारी किया, जिसके अनुसार अमृतपाल सिंह की मौत खुद की गोली से लगने के कारण हुई. मृतक अग्निवीर ने आत्महत्या की है और मौत का कारण खुद के द्वारा पहुंचाई गई चोट है. जिस कारण नियमों के मुताबिक गार्ड ऑफ ऑनर नहीं दिया गया है. वहीं सेना ने यह भी कहा कि मामले की जांच के लिए कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की जा रही है.
सेना की ओर से सोशल मीडिया एक्स पर जारी किए गए बयान के अनुसार 2001 के बाद से हर साल 100 से 140 सैनिकों को मौत आत्महत्या या खुद की गोली लगने के कारण हुई है. ऐसे सभी मामलों में मृतक को गार्ड ऑफ ऑनर देने की अनुमति नहीं है. वहीं सेना ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में पोस्ट के अनुसार मृतक जवान के परिवार को अंतिम संस्कार के लिए वित्तीय सहायता/राहत के वितरण को उचित प्राथमिकता दी जाती है. सेना ने कहा कि वह किसी भी जवान के साथ कोई भेदभाव नहीं करती है. चाहे वह अग्निवीर हों या इस योजना के पहले सेना में भर्ती हुए जवान हों.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अग्निवीर मामले में यह पहली ऐसी घटना है, जिसमें जवान की मौत हुई है. सेना के तीनों विंग में जवानों की भर्तियों के लिए केंद्र सरकार की ओर से 14 जून 2022 को अग्निपथ स्कीम लाॅन्च की गई थी, जिसके तहत सेना में 4 साल के लिए युवाओं की भर्तियां की जा रही है. सेना ने अब तक दो बैचों में 40,000 अग्निवीरों की भर्ती की है. वहीं रेजिमेंटल केंद्रों में प्रशिक्षण के बाद पहला बैच सेना में शामिल हो गया है.