अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी जोरो शोरो से होने जा रही है और 16 जनवरी को प्रायश्चित पूजा के साथ रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए पांच दिवसीय पूजा का विधि-विधान शुरू हो चुका है और भगवान श्रीराम की मूर्ति का प्रवेश मंदिर में विशेष पूजा के साथ कराया जाएगा जिसके बाद ही प्राण प्रतिष्ठा की पूजा विधि शुरू होगी. रामलला प्राण प्रतिष्ठा से पहले माता गौरी और प्रथम पूज्य श्री गणेश का पूजन होगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है. पौष में आज 18 जनवरी को दुर्गाष्टमी मनाई जाएगी. आज के ही दिन पांच दिवसीय अनुष्ठान के तहत माता गौरी और भगवान गणेश की पूजन किया जाएगा.
गणेश अंबिका पूजन
आज राम मंदिर में श्री गणेश अंबिका पूजा की जाएगी. इस पूजा में भगवान गणेश और मां दुर्गा का विधिवत पूजन किया जाएगी. मान्यता है कि इस पूजन से कार्य में सिद्धि की प्राप्ति होती है. ज्योतिष शास्त्रों के मुताबिक आज 18 जनवरी को पांच अद्भुत योग बन रहे हैं जो कि सिद्ध योग, बव और बालव, सर्वार्थ सिद्धि योग, साध्य योग, भद्रावास योग बनेंगे. इन योगों में माता गौरी के साथ भगवान गणेश की पूजा-उपासना करने से कई गुना फल प्राप्त होगा.
हिंदू धर्म में गणेश अंबिका पूजन का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. किसी भी शुभ काम को करने से पहले विघ्नहर्ता गणेश की पूजा की जाती है. कहा जाता है कि ऐसा करने से उस काम में सिद्धि की प्राप्ति होती है. रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही पांच दिवसीय अनुष्ठान शुरू हो चुका है जिसके दूसरे दिन यानी आज गौरी अंबिका और गणेश जी की पूजा की जाएगी. इस दिन भगवान गणेश और माता गौरी की पूजा करने से अक्षय फल प्राप्त होगा.
क्या है इन योगों का शुभ मुहूर्त?
सिद्ध योग दोपहर 02: 48 मिनट पर बन रहा है. साध्य योग का निर्माण 08:44 मिनट पर होगा. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07: 15 मिनट से रात 02:58 मिनट तक रहेगा. भद्रावास योग का निर्माण सुबह 09:22 मिनट पर होगा. बव और बालव करण योग का निर्माण सुबह 09: 23 मिनट पर होगा.
कैसे होगा पूजा का विधि-विधान?
सबसे पहले गणेश अंबिका पूजन पूरे अनुष्ठान के साथ होगा जिसके बाद वरुण पूजा, मातृका पूजा, ब्रह्मा वरण और वास्तु पूजा का जाएगी. गणेश अंबिका पूजा के साथ ही जल यात्रा भी की जाएगी. इसके बाद अधिवास आयोजित किए जाएंगे. धार्मिक मान्यता के अनुसार, अधिवास वह प्रक्रिया है जिसमें मूर्ति को विभिन्न सामग्रियों के साथ कुछ समय के लिए रखा जाता है. ऐसा कहा जाता है मूर्ति पर शिल्पकार के औजारों से आई हुई चोट अधिवास से ठीक हो जाती है और तमाम दोष भी दूर हो जाते हैं. इन सबके बाद जलाधिवास यानी की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले रामलला मूर्ति को शास्त्रीय विधि से जल में वास कराया जाता है या रख जाता है. इन सब विधि-विधान के बाद बाद शाम के समय गंधाधिवास होगा. गंधाधिवास में श्रीराम की मूर्ति पर सुंगधित द्रव्यों का लेपन किया जाएगा.