उत्तर प्रदेश के हाथरस के फुलवाई गांव में संत भोले बाबा के कथित सत्संग में मंगलवार को भगदड़ मच गई. भगदड़ में 150 से अधिक श्रद्धालु गंभीर रूप से जख्मी हो गए, जिनमें 116 श्रद्धालुओं की मौत हो गई. इसमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. अब बाबा के सत्संग पर प्रशासन ने रोक लगा दी है. आगरा के सैया में बाबा का एक सत्संग 4 जुलाई को होना था. इसकी सारी तैयारी कर ली गई थी. सत्संग के लिए उप जिलाधिकारी से अनुमति भी ले ली गई थी. लेकिन घटना के बाद प्रशासन ने आगरा में होने वाले सत्संग को निरस्त कर दिया गया है.
फुलवाई गांव में हाईवे से सटी जगह पर भोले बाबा का कथित सत्संग आयोजित किया गया था. आयोजकों ने इसके लिए काफी बड़ा पंडाल सजाया था. ये सत्संग एक दिन का ही था, जिसकी वजह से सुबह से ही अनुयायी पंडाल में पहुंचने लगे थे. दोपहर 12 बजे स्वयंभू संत भोले बाबा पहुंचे. उनकी जय-जयकार हुई. बाबा को अपना आराध्य मानने वाले अनुयायियों में कई पुलिसवाले भी थे जो हाथ उठाकर बाबा के जयकारे लगा रहे थे. अनुयायी बेकाबू न हो जाएं इसके लिए गुलाबी ड्रेस में बाबा के सेवादार भी तैनात थे.
आश्रम में छिपे होने का आशंका
सूत्रों की मानें तो बाबा मैनपुरी के आश्रम में छिपा है. पुलिस इस पर हाथ डालने से पीछे हट रही है. जिसके सत्संग में आए लोग काल के गाल में चले गए वो इस आश्रम छिपा बैठा है. यहां काफी संख्या में उसके अनुयाई भी जमा हैं. नारायण हरि की एक खासियत यह है कि वह भगवा वस्त्र नहीं पहनते हैं, बल्कि सफेद सूट और टाई पहनना पसंद करते हैं. उनका दूसरा पसंदीदा परिधान कुर्ता-पायजामा है. अपने प्रवचनों के दौरान वह कहते हैं कि उन्हें जो दान दिया जाता है, उसमें से वे कुछ भी नहीं रखते और उसे अपने भक्तों पर खर्च कर देते हैं.
इस कारण मची भगदड़
हाल ही में प्रदेश के मुख्य सचिव पद पर तैनात हुए मनोज कुमार सिंह ने कहा कि भीड़-भाड़ हादसे के पीछे एक कारण है. बाबा के वाहन के पीछे अनुयायी दौड़ने लगे थें. उनके जाने के बाद लोग वहां की मिट्टी लेकर पूजते हैं. नतीजतन लोग झुकने लगे और गिर गए, जिससे भगदड़ मच गई. कार्यक्रम के लिए आवेदन में श्रद्धालुओं की संख्या 80,000 बताई गई थी. हालांकि मौके पर संख्या इससे कहीं अधिक थी.