इजरायल और हमास के बीच पिछले 10 दिनों से युद्ध जारी है और अब तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है. गाजा में 2670 लोगों की मौत हुई है और 9 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जबकि इजरायल में करीब 1400 लोगों की मौत हुई है और करीब 3 हजार से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं. इस बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief Mohan Bhagwat) ने बड़ा बयान दिया है और कहा है कि दुनिया के पास सबकुछ, लेकिन संतोष सिर्फ भारत में है.
कमजोरों को बचाने के लिए धारण करना होगा अस्त्र: भागवत
हमास इजरायल युद्ध को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि रूस और यूक्रेन में संघर्ष (Russia-Ukraine War) अभी खत्म नहीं हुआ और इजरायल-हमास में युद्ध शुरू हो गया. दुनिया के पास सबकुछ है, लेकिन संतोष सिर्फ भारत में है. उन्होंने आगे कहा कि दुनिया में कमजोरों को क्रूरों से बचाना है तो हाथों में अस्त्र धारण करना होगा.
मोहन भागवत ने एकता का दिया संदेश
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार को जम्मू-कश्मीर के कठुआ में स्वयं सेवकों को संबोधित करते हुए एकता का संदेश दिया और कहा कि सभी मिलकर भारत को बड़ा बनाएंगे, तभी भारत दुनिया को शांति का रास्ता दिखाएगा. उन्होंने आगे कहा कि सबके लिए जिसमें जगह है, जो सभी की पूजा पद्धतियों को स्वीकार करता है वही हिंदू है. दुनिया दुर्बल को नहीं मानती है, इसलिए हमें शक्तिशाली बनना है और तभी भारत के दुनिया के राष्ट्रों को सुख शांति का मार्ग दिखाएगा.
वसुधैव कुटुंबकम और जी20 पर मोहन भागवत ने कही ये बात
सनातन धर्म को भारतीय संस्कृति का सार बताते हुए मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि हाल के जी20 शिखर सम्मेलन में ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का दर्शन आर्थिक विचारों पर छाया रहा. बता दें अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, चीन और फ्रांस जैसे देशों वाले प्रभावशाली समूह का शिखर सम्मेलन भारत की अध्यक्षता में 9 और 10 सितंबर को दिल्ली में आयोजित किया गया था, जिसका विषय ‘वसुधैव कुटुंबकम-एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ था.
संघ प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि भारत में जी20 पहल की योजना के माध्यम से आर्थिक विचारों पर मानवीय विचार छाए रहे. जी20 आर्थिक और कूटनीतिक पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है और इन पहलुओं पर चर्चा होती है. उन्होंने कहा, ‘भारत मेजबान बना और परिणाम क्या रहा? जो लोग आर्थिक विचारधारा में विश्वास करते हैं, उन्होंने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के मानवीय विचारों को स्वीकार किया.’