कर्नाटक के एक सरकारी स्कूल में एक ब्राह्मण छात्रा को मिड डे मील के दौरान अंडा खाने के लिए मजबूर करने का मामला सामने आया। छात्रा के पिता ने स्कूल के हेडमास्टर और सहायक शिक्षक के खिलाफ शिक्षा विभाग में शिकायत दर्ज कराई है। प्रारंभिक जाँच के बाद प्रशासन ने मिड डे मील में अंडा परोसा जाना तो कबूला है। लेकिन किसी भी छात्र को खाने के लिए मजबूर किए जाने के आरोपों को नकार दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार घटना शिवमोगा जिले के कम्माची गाँव स्थित केपीएस स्कूल का है। पीड़ित बच्ची कक्षा 2 की छात्रा है। इस स्कूल के कक्षा दो में 26 बच्चे पढ़ते हैं। इनमें से 10 शाकाहारी हैं। बच्ची के पिता वी श्रीकांत भी इसी स्कूल में शिक्षक हैं। कई रिपोर्टों में यह स्कूल होसनगरा तालुका के अमृता गाँव में बताया गया है।
छात्रा की पिता की शिकायत के बाद ब्लॉक एजुकेशन ऑफिसर और मिड डे मील परिचारिका ने गुरुवार (23 नवंबर 2023) को स्कूल का दौरा किया। पीड़ित छात्रा के पिता ने शिकायत शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, उप निदेशक और स्थानीय विधायक को भी दी है।
शिकायत में छात्रा के पिता वी श्रीकांत ने कहा कि ब्राह्मण समुदाय से आने वाली उनकी बेटी को स्कूल में जबरदस्ती अंडा खाने के लिए मजबूर किया गया। सात साल की इस बच्ची ने अपने पिता से शिकायत की थी कि शिक्षक पुट्टास्वामी ने उससे कहा था कि अच्छी सेहत के लिए अंडे बहुत ज़रूरी हैं।
गौरतलब है कि राज्य सरकार की तरफ से मिड डे मील में दो बार अंडे और केले बाँटे जाते हैं। श्रीकांत का दावा है कि उनकी बेटी ने कभी मांसाहारी भोजन नहीं किया है, लेकिन उसे स्कूल में अंडा खाने के लिए मजबूर किया गया। शिकायत में कहा है कि उन्होंने स्कूल के अधिकारियों को बताया था कि उनकी बेटी शाकाहारी है, इसलिए उसे अंडे की जगह चिक्की दिया जाए।
उन्होंने कहा है कि इसके बाद भी पुट्टास्वामी ने कक्षा को बताया कि अंडे सेहत के लिए अच्छे हैं। अंडा खाने बाद उनकी बेटी बीमार पड़ गई और मानसिक रूप से परेशान है। इससे उनके परिवार की धार्मिक मान्यताओं को भी ठेस पहुँची है।
श्रीकांत का कहने है कि शिक्षक पुट्टस्वामी ने इसके लिए खेद जताया है। उन्होंने कहा, “मेरा उनसे कोई निजी दुश्मनी नहीं है। मैं इस मुद्दे को खींचना नहीं चाहता।” उधर इस मामले पर शिक्षा विभाग के सीनियर ऑफिसर का कहना है, “प्रारंभिक जाँच में सामने आया है कि ये घटना मिड डे मील परोसे जाने के दौरान हुई। छात्रों का एक समूह भोजन के लिए एक पंक्ति में बैठा था। तभी संबंधित शिक्षक ने छात्रों से पूछा कि कौन अंडे खाना पसंद करेगा? ऐसा लगता है कि इस खास बच्चे ने भी अपने बाकी सहपाठियों से हाथ खड़ा कर दिया थे और इसलिए उसे अंडा परोसा गया। लेकिन, खास तौर पर इस बच्चे या किसी भी छात्र को अंडे खाने के लिए मजबूर नहीं किया गया।”
शिवमोगा के सार्वजनिक निर्देश उप निदेशक परमेश्वरप्पा सीआर के मुताबिक, “हमने इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लिया है। लेकिन हमें मिली जानकारी के आधार पर, छात्र को जबरदस्ती अंडा नहीं खिलाया गया था। हालाँकि, हम दी गई जाँच रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे। यदि नियमों का उल्लंघन पाया गया तो खंड शिक्षा अधिकारी संबंधित शिक्षक के खिलाफ गंभीर कार्रवाई करेंगे।”