भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों की देश वापसी को लेकर ट्रूडो सरकार की ओर से लगाए गए अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के उल्लंघन के आरोप को खारिज कर दिया है. कनाडा की कोशिशों पर विदेश मंत्रालय ने कहा है कि राजनयिकों की उपस्थिति में समानता को लागू करने का हमारा कदम वियना संधि के प्रावधानों के अनुरूप है और अनुच्छेद 11.1 के तहत पूरी तरह से सुसंगत है.
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की ओर से यह टिप्पणी कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जोली की ओर से मोदी सरकार की कार्रवाई को अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ और राजनयिक संबंधों के लिए वियना संधि का उल्लंघन बताया था. जिसके बाद अब भारत ने कनाडा की सरकार को करारा जवाब दिया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसने कनाडा सरकार की ओर से दिया गया बयान देखा है.
सूत्रों के कहना है कि राजनयिकों की नियुक्ति में समानता लाने के लिए फैसले को भारत ने कनाडा को पहले ही अवगत करा दिया था. शुरू में इसकी आखिरी तारीख 10 अक्टूबर थी लेकिन बाद में इसे 20 अक्टूबर तक बढ़ा दिया गया था. बताया जा रहा है कि 41 राजनयिकों की वापसी के बाद बेंगलुरु, मुंबई, चंडीगढ़ में कनाडा के वाणिज्य दूतावास में राजनयिकों की संख्या पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
निज्जर की हत्या के बाद तनाव
दरअसल, कनाडा के पीएम ट्रूडो ने इस साल जून में खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल का आरोप लगाया था. ट्रूडो के आरोप के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक तनाव पैदा हो गया था. इसके बाद भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों को वापस भेजने का फैसला किया.
कनाडा ने शुक्रवार को 41 राजनयिकों को वापस बुलाया
कनाडा ने शुक्रवार को भारत से अपने 41 राजनयिकों को वापस बुलाने के साथ-साथ एक बड़ी धमकी भी दी है. कनाडा ने कहा है कि वह चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु में अपने वाणिज्य दूतावास में सभी व्यक्तिगत सेवाओं पर रोक लगाएगा. इसके साथ-साथ वो भारत में रह रहे सभी कनाडाई लोगों को नई दिल्ली में स्थित उच्चायोग में भेजने का निर्देश देने की बात भी कही है.