लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने मनरेगा मजदूरों को तोहफा दिया है. दरअसल, केंद्र सरकार ने ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ (मनरेगा) के तहत काम करने वाले मजदूरों की दिहाड़ी (मजदूरी) को बढ़ाने का ऐलान किया है. सरकार की इस घोषणा के बाद मनरेगा मजदूरों की मजदूरी में 3 से 10 फीसदी तक का इजाफा हो जाएगा. इस संबंध में केंद्र सरकार ने आज यानी गुरुवार (28 मार्च) को एक नोटिफिकेशन भी जारी किया. बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले मनरेगा मजदूरों की बढ़ाई गई मजदूरी दर वित्तीय वर्ष 2024-25 में लागू होगी. मनरेगा मजदूरों के लिए नई वेतन दरें 1 अप्रैल, 2024 से प्रभावी होंगी.
कहां कितनी बढ़ाई गई मनरेगा की मजदूरी
बता दें कि केंद्र सरकार ने मनरेगा मजदूरी में बढ़ोतरी चालू वित्त वर्ष में किए गए इजाफे के समान ही की है. नोटिफिकेशन के मुताबिक, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 2023-24 की तुलना में 2024-25 के लिए मजदूरी दर में में तीन फीसदी का इजाफा किया है. जो देश में सबसे कम है. जबकि गोवा में सबसे ज्यादा मजदूरी बढ़ाई गई है. यहां मनरेगा मजदूरों की मजदूरी दर में 10.6 फीसदी तक का इजाफा किया गया है. बता दें कि केंद्र सरकार ने मनरेगा के मजदूरों की मजदूरी में ऐसे समय में बढ़ोतरी की है जब पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से फंड रोकने को लेकर विवाद चल रहा है.
The Centre notifies the latest revision in MGNREGA wages pic.twitter.com/gcq2mrFWn7
— ANI (@ANI) March 28, 2024
चुनाव आयोग से इजाजत के बाद आया नोटिफिकेशन
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए बताया गया कि ग्रामीण विकास मंत्रालय ने मजदूरी दरों में इजाफा वाले नोटिफिकेशन को जारी करने के लिए चुनाव आयोग से इजाजत मांगी थी. क्योंकि लोकसभा चुनाव के चलते देशभर में आदर्श आचार संहिता लागू है. चुनाव आयोग की तरफ से इजाजत मिलने के बाद केंद्र सरकार ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर दिया. गौरतलब है कि मनरेगा मजदूरों की मजदूरी दरों में बदलाव करना एक नियमित प्रक्रिया है.
संसद में मिले थे मजदूरी बढ़ाने के संकेत
बता दें कि मनरेगा मजदूरों की मजदूरी में बढ़ोतरी के संकेत इस साल संसद में भी देखने को मिले थे. तब एक रिपोर्ट में ग्रामीण विकास और पंचायती राज पर संसदीय स्थायी समिति ने राज्यों में मनरेगा मजदूरी दरों के कम-ज्यादा होने की जानकारी दी थी. तब समिति ने कहा था कि मजदूरों को अभी जो मजदूरी दी जा रही है, वो पर्याप्त नहीं है. अगर वर्तमान में रहने-खाने के खर्च को देखा जाए तो इसके लिए मजदूरी दर काफी कम है. वहीं संसदीय स्थायी समिति ने न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 375 रुपये प्रतिदिन करने की सिफारिस की थी.