सुप्रीम कोर्ट आज (शुक्रवार) बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करेगा। याचिका में भारत के चुनाव आयोग को लोकसभा चुनाव बैलेट पेपर के माध्यम से कराने का निर्देश देने की मांग की गई है।
कांग्रेस नेता ने दायर की याचिका
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित वाद सूची के अनुसार, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ 15 मार्च को मामले की सुनवाई करेगी। कांग्रेस की मथुरा जिला समिति के महासचिव द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि ईवीएम के बारे में विपक्षी दलों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए बैलेट पेपर से चुनाव कराना चाहिए।
याचिकाकर्ता ने कोर्ट में क्या दी दलील?
इसमें चुनाव आयोग को ईवीएम के माध्यम से चुनाव कराने का अधिकार देने वाली लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 61ए को रद करने का अनुरोध किया गया है। याचिका में कहा गया कि बैलेट पेपर के खिलाफ बूथ कैप्चरिंग, मतपेटी रोके जाने, अवैध वोट, कागज की बर्बादी आदि की दलील अनुचित और तर्कहीन है जबकि एक ईवीएम मशीन में 2,000 से 3,840 वोट जमा होते हैं।
इसका मतलब है कि प्रति निर्वाचन क्षेत्र केवल 50 ईवीएम मशीनों के डेटा में हेरफेर करके प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली में एक लाख से 1.92 लाख वोटों की धोखाधड़ी संभव है। याचिका में कहा गया कि ईवीएम के प्रति सत्तारूढ़ दल का समर्थन ईवीएम की कार्यप्रणाली के बारे में संदेह पैदा करता है क्योंकि ईवीएम या मतपत्र के बावजूद चुनाव परिणाम समान रहने चाहिए।