2025 में मानसून जल्दी क्यों आया?
- तारीख: केरल में मानसून 25 मई को आ गया, जो सामान्य तिथि (1 जून) से 8 दिन पहले है।
- इतिहास: ये 16 वर्षों में मानसून का सबसे जल्दी आगमन है।
- मुख्य कारण:
- अरब सागर में कम दबाव का क्षेत्र बना।
- वायुमंडलीय और समुद्री स्थितियां अनुकूल रहीं।
- एल नीनो (El Niño) और IOD (Indian Ocean Dipole) दोनों न्यूट्रल स्थिति में हैं — मानसून के लिए अच्छा संकेत।
- यूरेशिया में बर्फ की परत कम रही, जिससे मानसून मजबूत हुआ।
- भूमध्यरेखीय रॉस्बी वेव्स जल्दी सक्रिय हो गईं।
मानसून बनता कहां है और भारत में कैसे आता है?
- मानसून की उत्पत्ति मुख्यतः हिंद महासागर और अरब सागर में होती है।
- गर्मी में उत्तर भारत और तिब्बत पठार में कम दबाव बनता है।
- इससे नमी युक्त दक्षिण-पश्चिम हवाएं भारत की ओर बहती हैं।
- केरल से प्रवेश कर दो शाखाओं में बंटता है:
- अरब सागर शाखा: केरल → कर्नाटक → महाराष्ट्र → गुजरात → राजस्थान
- बंगाल की खाड़ी शाखा: बंगाल → पूर्वोत्तर → बिहार → उत्तर प्रदेश → उत्तर भारत
इस साल El Niño और IOD की भूमिका क्या रही?
- El Niño: इस साल न्यूट्रल स्थिति में — मानसून पर नकारात्मक प्रभाव नहीं डाला।
- IOD (Indian Ocean Dipole): यह भी न्यूट्रल है। सकारात्मक IOD मानसून को और मजबूत कर सकता था, लेकिन न्यूट्रल स्थिति भी संतुलित है।
उत्तर भारत में मानसून कब तक पहुंचेगा?
राज्य/क्षेत्र | संभावित आगमन तारीख |
---|---|
पूर्वी उत्तर प्रदेश | 20 जून के आसपास |
पश्चिमी उत्तर प्रदेश | 25-30 जून |
दिल्ली-NCR | 27-29 जून |
पंजाब-हरियाणा | 29 जून – 2 जुलाई |
खेती-किसानी पर असर:
- खरीफ फसलों की बुवाई जल्दी शुरू हो सकती है — जैसे धान, मक्का, सोयाबीन, कपास।
- मिट्टी में नमी समय से पहले आएगी, जिससे उत्पादन बेहतर हो सकता है।
- जलाशयों, जलस्तर और सिंचाई को भी सकारात्मक असर मिलेगा।
क्या प्री-मानसून शॉवर्स नहीं आए?
- इस बार प्री-मानसून बारिश का समय बहुत कम रहा।
- सीधे ही मुख्य मानसून की बारिश शुरू हो गई।
- इसका मतलब, 2025 में केरल में प्री-मानसून लगभग गायब रहा।
क्या यह हमेशा फायदेमंद है?
- केरल और दक्षिण भारत में जल्दी बारिश फायदा पहुंचाएगी।
- परन्तु उत्तर भारत में मानसून की देरी और गर्मी अभी बनी रहेगी।
- साथ ही, जल्द बुवाई के बाद अगर मानसून बीच में कमजोर पड़ा तो फसल को नुकसान भी हो सकता है।