प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएम पद का कार्यभार संभाल लिया है. वहीं जनता द्वारा चुने गए लोकसभा के 543 सांसद संसद पहुंच चुके हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राज्यसभा में कितने सांसद होते हैं और राज्यों के हिसाब से उनकी सीट कैसे तय होती है. आज हम आपको राज्यसभा से जुड़ें सभी तथ्यों के बारे में बताएंगे.
राज्यसभा
जानकारी के मुताबिक राज्यसभा का इतिहास 1919 के समय का है. ब्रिटिश इंडिया में उस समय एक ऊपरी सदन बनाया गया था. तब इसे काउंसिल ऑफ स्टेट कहा जाता था. वहीं आजादी के बाद 3 अप्रैल 1952 को राज्यसभा का गठन हुआ था. इसके बाद 23 अगस्त 1954 को इसका नाम काउंसिल ऑफ स्टेट से बदलकर राज्यसभा कर दिया गया था.
बता दें कि राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 साल होता है और राज्यसभा कभी भंग नहीं होता है. राज्यसभा में 250 सदस्य होते हैं. इनमें से 238 सदस्य चुने जाते हैं, जबकि बाकी 12 सदस्यों को राष्ट्रपति नामित करते हैं. किस राज्य से कितने राज्यसभा सदस्य होंगे, ये वहां की आबादी के आधार पर तय होता है. जैसे सबसे ज्यादा आबादी उत्तर प्रदेश की है, तो यहां 31 सीटें हैं. वहीं 18 सीटें तमिलनाडु में हैं. जबकि कई छोटे राज्य ऐसे हैं, जहां एक-एक ही सीट है.
कब खाली होती है राज्यसभा की सीटें
लोकसभा की तरह राज्यसभा कभी भी पूरी तरह से भंग नहीं होती. बल्कि इसके एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल हर दो साल में पूरा हो जाता है. यानी राज्यसभा के लिए हर दो साल में चुनाव होते हैं और उसके एक तिहाई सदस्य बदल जाते हैं या फिर रिपीट हो जाते हैं. साफ शब्दों में कहें तो राज्यसभा हमेशा बनी रहती है वो कभी भी भंग नहीं होती.
कितने समय का होता है इसका कार्यकाल
सामान्य तौर पर राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल 6 साल का होता है. लेकिन कई बार कुछ मामलों में इन्हें निलंबन का भी सामना करना पड़ता है. साल 2023 में दो दिनों के भीतर 141 लोकसभा और राज्यसभा के सांसदों को निलंबित किया गया था. राज्यसभा सांसदों को राज्यसभा के नियम 255 के तहत निलंबित किया गया था. ये नियम कहता है कि अगर सभापति को लगता है कि राज्यसभा के किसी सदस्य का व्यवहार घोर अव्यवस्थापूर्ण है तो वो उसे राज्यसभा से चले जाने का निर्देश दे सकता है. हालांकि, इस नियम के तहत निलंबन केवल उसी दिन के लिए लागू रहेगा. यानी उस दिन सदस्य को सदन से बाहर रहना होगा.
कैसे होता है राज्यसभा का चुनाव?
राज्यसभा के चुनाव में सभी राज्यों की विधानसभाओं के विधायक हिस्सा लेते हैं. हालांकि इसमें विधान परिषद के सदस्य वोट नहीं डालते हैं. राज्यसभा चुनाव की वोटिंग का एक फॉर्मूला होता है. राज्य में जितनी राज्यसभा सीटें खाली हैं, उसमें 1 जोड़ा जाता है. फिर उसे कुल विधानसभा सीटों की संख्या से भाग दिया जाता है. इससे जो संख्या आती है, उसमें फिर 1 जोड़ दिया जाता है.
कितनी सैलरी
राज्यसभा के सदस्यों की एक महीने की सैलरी 1 लाख रुपये होती है. इसके अलावा अगर सदस्य अपने आवास से ही ड्यूटी कर रहे हैं तो हर दिन 2 हजार रुपये का भत्ता भी मिलता है.
किस राज्य में कितनी सीटें?
आंध्र प्रदेश(कुल सीटों की संख्या – 11)
अरुणाचल प्रदेश (कुल सीटों की संख्या – 1)
असम (सीटों की कुल संख्या – 7)
बिहार (कुल सीटों की संख्या – 16)
छत्तीसगढ़ (कुल सीटों की संख्या – 5)
गोवा (कुल सीटों की संख्या – 1)
गुजरात (कुल सीटों की संख्या – 11)
हरियाणा (सीटों की कुल संख्या – 5)
हिमाचल प्रदेश (कुल सीटों की संख्या – 3)
जम्मू और कश्मीर (सीटों की कुल संख्या – 4)
झारखंड (कुल सीटों की संख्या – 6)
कर्नाटक (कुल सीटों की संख्या – 12)
केरल (कुल सीटों की संख्या – 9)
मध्य प्रदेश (कुल सीटों की संख्या – 11)
महाराष्ट्र (कुल सीटों की संख्या – 19)
मणिपुर (कुल सीटों की संख्या – 1)
मेघालय (कुल सीटों की संख्या – 1)
मिजोरम (कुल सीटों की संख्या – 1)
नागालैंड (कुल सीटों की संख्या – 1)
ओडिशा (कुल सीटों की संख्या – 10)
पंजाब (कुल सीटों की संख्या – 7)
राजस्थान (कुल सीटों की संख्या – 10)
सिक्किम (कुल सीटों की संख्या – 1)
तमिलनाडु (कुल सीटों की संख्या – 18)
तेलंगाना (कुल सीटों की संख्या – 7)
त्रिपुरा (कुल सीटों की संख्या – 1)
उत्तर प्रदेश (कुल सीटों की संख्या – 31)
उत्तराखंड (कुल सीटों की संख्या – 3)
पश्चिम बंगाल (कुल सीटों की संख्या – 16)
सबसे बड़ा निलंबन
आपको बता दें सांसदों का सबसे बड़ा निलंबन साल 1989 में हुआ था. दरअसल, सांसद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या पर ठक्कर कमीशन की रिपोर्ट को संसद में रखे जाने का विरोध कर रहे थे और उस पर हंगामा कर रहे थे. इसी वजह से अध्यक्ष ने एक दिन में 63 सांसदों को निलंबित कर दिया था. 63 सांसदों के निलंबन के बाद अन्य 04 सांसद भी सदन से बाहर चले गए थे.