एक्सिओम-4 मिशन (Axiom Mission-4) एक ऐतिहासिक और बहुप्रतीक्षित अंतरिक्ष मिशन है, जिसे अमेरिकी निजी कंपनी एक्सिओम स्पेस द्वारा नासा और स्पेसएक्स के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। इस मिशन की खास बात यह है कि इसमें भारत के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला, हंगरी के टिबोर कापू, और पोलैंड के स्लावोज उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की सहित कुल चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं। मिशन की कमान अनुभवी अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन संभाल रही हैं, जबकि शुभांशु शुक्ला मिशन के पायलट की भूमिका में होंगे। इस मिशन को 22 जून 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट के ज़रिए लॉन्च किया जाएगा, हालांकि यह तारीख मौसम और तकनीकी स्थिति के आधार पर आगे भी बढ़ सकती है।
मूल रूप से इस मिशन को 29 मई को लॉन्च किया जाना था, लेकिन तकनीकी कारणों से इसकी तारीख कई बार बदली गई — पहले 8, फिर 10, और फिर 11 जून तय की गई, लेकिन अंततः इसे 22 जून के लिए पुनः निर्धारित किया गया। एक्सिओम स्पेस के अनुसार, इस बदलाव का कारण आईएसएस के रूसी मॉड्यूल ‘ज्वेज्दा’ में हुई मरम्मत के बाद स्टेशन की कार्यक्षमता का मूल्यांकन करना था। साथ ही, फाल्कन-9 रॉकेट के बूस्टर में तरल ऑक्सीजन के रिसाव की तकनीकी दिक्कत ने भी देरी में भूमिका निभाई।
Teams from @isro, Poland, and Hungary engaged in a detailed discussion with @Axiom_Space regarding the probable launch timeline of Axiom Mission 4. Following this, @Axiom_Space held consultations with @NASA and @SpaceX to assess multiple readiness parameters.
Based on the…
— ISRO (@isro) June 18, 2025
एक्सिओम-4 मिशन का उद्देश्य बहुआयामी है। इस मिशन के दौरान अंतरिक्ष यात्री 14 से 21 दिनों तक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर रहेंगे और वहां 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। इन प्रयोगों में बायोमेडिकल रिसर्च, पदार्थ विज्ञान, पृथ्वी का अवलोकन, और माइक्रोग्रैविटी में पौधे उगाने के प्रयोग शामिल हैं — जिनमें मेथी और मूंग की खेती पर विशेष ध्यान होगा। इन अनुसंधानों का उद्देश्य पृथ्वी और अंतरिक्ष दोनों में वैज्ञानिक नवाचार को बढ़ावा देना है, विशेष रूप से भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों और संभावित चंद्र व मंगल अभियानों के लिए।
यह मिशन न केवल विज्ञान और तकनीक की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वाणिज्यिक अंतरिक्ष विकास की दिशा में भी एक बड़ी छलांग है। Axiom-4 जैसे मिशन यह दर्शाते हैं कि अब अंतरिक्ष केवल सरकारी एजेंसियों का ही क्षेत्र नहीं रह गया है, बल्कि निजी कंपनियाँ भी अब अंतरिक्ष अन्वेषण और अनुसंधान में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं। इसके साथ ही, भारत, पोलैंड और हंगरी जैसे देशों की इस मिशन में भागीदारी वैश्विक सहयोग और अंतरिक्ष कूटनीति का भी प्रतीक है।
इस मिशन में शुभांशु शुक्ला की भागीदारी भारत के लिए गर्व का विषय है और यह भारतीय युवाओं को विज्ञान, प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष अनुसंधान की दिशा में प्रेरित करने का काम करेगा। Axiom-4 न केवल विज्ञान को नई ऊँचाइयों पर ले जाने का प्रयास है, बल्कि यह अंतरिक्ष अन्वेषण में एक नई वाणिज्यिक और बहुराष्ट्रीय युग की शुरुआत का भी संकेत देता है।
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