उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की भारत-नेपाल सीमा से सटे क्षेत्रों में बढ़ती मजहबी गतिविधियों, अवैध मस्जिद-मदरसों और संभावित डेमोग्राफिक बदलाव को लेकर योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान की गंभीरता को दर्शाता है।
इस विषय की प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं:
🔶 उत्तर प्रदेश में चल रही कार्रवाई:
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570 किमी नेपाल सीमा पर फैले 7 जिलों (महराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच, श्रावस्ती, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी) में:
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अवैध मस्जिद-मदरसे चिह्नित कर सैकड़ों को ध्वस्त या सील किया गया है।
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श्रावस्ती में सबसे बड़ी कार्रवाई – 100+ मदरसे सील, कई ढाँचे गिराए गए।
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सिद्धार्थनगर में 597 मदरसे, जिनमें 145 गैर-मान्यता प्राप्त; 17 अवैध मदरसे और 4 अवैध मजहबी स्थल चिन्हित।
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बहराइच में 24 अवैध मदरसे, 384 अतिक्रमण में से 89 कब्जे हटाए गए।
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बलरामपुर में 25 मदरसे चिन्हित, 23 सील, कई ढाँचे तोड़े गए।
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खाड़ी देशों से ₹150 करोड़ की संदिग्ध फंडिंग की जानकारी सामने आई है।
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SSB और खुफिया एजेंसियों ने इस पर डेमोग्राफिक बदलाव का संकेत दिया है।
🔶 उत्तराखंड में भी स्थिति चिंताजनक:
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ऊधमसिंह नगर, चम्पावत, पिथौरागढ़ को संवेदनशील घोषित किया गया है।
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धारचूला और जौलजीवी (पिथौरागढ़) को अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया है।
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नेपाल सीमा से आवाजाही में कोई सख्ती नहीं – विशेष रूप से बनबसा और टनकपुर।
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पिछले वर्षों में 2.5 गुना मुस्लिम आबादी में वृद्धि।
🔶 “मुस्लिम पट्टी” की साजिश:
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दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, एक ‘मुस्लिम बेल्ट’ बनाने की रणनीति – जो बांग्लादेश से लेकर पाकिस्तान तक जाएगी, और इसमें पश्चिम बंगाल, बिहार, यूपी, हरियाणा शामिल होंगे।
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इस बेल्ट के ज़रिए जनसांख्यिकीय और सांस्कृतिक संतुलन को बदलने की आशंका जताई गई है।
सुरक्षा और नीति-निर्माण के लिए निहितार्थ:
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राष्ट्रीय सुरक्षा, सीमावर्ती रणनीति, और आंतरिक स्थिरता के लिहाज से यह मसला बहुत महत्वपूर्ण हो गया है।
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यह जरूरी हो गया है कि:
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जनसंख्या का ऑडिट,
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बॉर्डर इंटेलिजेंस का सुदृढ़ीकरण,
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रजिस्ट्रेशन और फंडिंग की निगरानी,
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और अवैध निर्माणों पर नियमित कार्रवाई की जाए।
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