गुजरात के राजकोट गेमिंग जोन हादसे में एसआईटी ने गुजरात सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। 25 मई को राजकोट गेम जोन में लगी आग की घटना में 27 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद गुजरात सरकार ने अग्निकांड की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी। एसआईटी ने शुक्रवार को गांधीनगर में गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी को रिपोर्ट सौंपी।
राजकोट अग्निकांड: एसआईटी ने सौंपी जांच रिपोर्ट, विभागीय खामियों का खुलासा
एसआईटी की प्रारम्भिक रिपोर्ट में कई खामियां बताई गई हैं। इस रिपोर्ट में नगर निगम, लोक निर्माण विभाग व फायर सेफ्टी विभाग की लापरवाही का जिक्र किया गया है। बता दें, इस भीषण अग्निकांड में 27 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद गुजरात सरकार ने राजकोट अग्निकांड की जांच एसआईटी को सौंप दी थी।
सूत्रों की मानें तो, प्रारम्भिक रिपोर्ट में कई खामियां बताई गई हैं। नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही का जिक्र किया गया है। इसमें लोक निर्माण विभाग के साथ फायर सेफ्टी विभाग की लापरवाही का जिक्र किया गया है। गेमिंग जोन के संचालक कानून को ताक पर रखकर गेमिंग जोन चला रहे थे। उच्च अधिकारियों की भी भूमिका संदिग्ध बताई गई है। एसआईटी रिपोर्ट में उन अधिकारियों की भूमिका तलाशने की बात कही है, जिनकी तस्वीरें गेमिंग जोन में उद्घाटन के वक्त सामने आई थीं। नगर निगम के अधिकारियों की लूट की कहानी भी बताई गई है कि कैसे अधिकारी निगम में रहकर काली कमाई करते रहे। इसके अलावा कुछ सुझाव भी दिए गए हैं।
वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सुभाष त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली एसआईटी ने 100 पृष्ठ की अंतरिम रिपोर्ट में गुजरात पुलिस अधिनियम (जीपी एक्ट) की धारा 33 में कुछ बदलाव का सुझाव दिया है, जो स्थानीय पुलिस को ऐसे खेल क्षेत्रों को लाइसेंस देने का अधिकार देता है। त्रिवेदी ने कहा, हमने सरकार को एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपी है। हमने पुलिस, अग्निशमन विभाग, नगर नियोजन और सड़क एवं भवन विभाग की ओर से खामियां पाईं। हमने उनकी लापरवाही के बारे में प्रासंगिक सबूत एकत्र किए हैं और अपनी रिपोर्ट के माध्यम से सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है। एसआईटी ने गुजरात पुलिस अधिनियम की धारा 33 में कुछ बदलावों का सुझाव दिया है, जिसके तहत स्थानीय पुलिस ऐसी मनोरंजन सुविधाओं के लिए परिसर लाइसेंस और टिकट लाइसेंस देती है। हम दोषियों को नहीं बख्शेंगे। एसआईटी जांच अभी भी जारी है।
गेम जोन में लगी आग को लेकर गुजरात उच्च न्यायालय ने सरकार को फटकार भी लगाई थी। स्वत: संज्ञान वाली जनहित याचिका पर सुनवाई किए जाने के दौरान 13 जून को वरिष्ठ अधिवक्ता अमित पांचाल ने सोशल मीडिया पर उपलब्ध तस्वीरों का हवाला देते हुए पीठ को सूचित किया था कि राजकोट के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक, जिलाधिकारी, राजकोट के नगर निगम आयुक्त और जिला विकास अधिकारी टीआरपी गेम जोन के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने तब सरकार को फटकार लगाई थी और पूछा था कि टीआरपी गेम ज़ोन के उद्घाटन समारोह में शामिल होने वाले इन वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।