प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को धर्मनगरी चित्रकूट के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने तुलसी पीठ जाकर वहाँ के पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य का आशीर्वाद लिया। PM मोदी के दौरे के बाद रामभद्राचार्य ने एंकर रुबिका लियाकत से बातचीत की। बातचीत में उन्होंने खुद को पीएम मोदी का मित्र बताया औ कहा कि यह मित्रता रामजन्मभूमि आंदोलन के समय से जारी है। उन्होंने साल 2024 में उन्हें एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया।
उन्होंने बताया कि 1990 में जब लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में रामजन्मभूमि आंदोलन शुरू हुआ तो नरेंद्र मोदी से मित्रता हुई, क्योंकि वे भी इस आंदोलन से जुड़े हुए थे। उन्होंने बताया कि तब लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा का संचालन नरेंद्र मोदी ही कर रहे थे। रामभद्राचार्य ने दावा किया कि उन्हें तब से लग रहा था कि ये भविष्य में कुछ बड़ा करेंगे। ये बातें उन्होंने कई मौकों पर पीएम मोदी से कही थीं।
रामभद्राचार्य का दावा है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बन जाने के बावजूद उनकी मित्रता में कोई फर्क नहीं आया। उलटे उन्होंने PM मोदी के पहले से और अधिक विनम्र हो जाने का दावा किया। रामभद्राचार्य के मुताबिक, उन्होंने PM मोदी को 2024 में एक बार फिर प्रधानमंत्री बनने के लिए ‘विजयी भव’ का आशीर्वाद दिया है।
रामजन्मभूमि-बाबरी विवाद पर भी रामभद्राचार्य ने बात की। मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान की बात करते हुए उन्होंने 7 दिनों तक चली 100 पेजों की अपनी गवाही का जिक्र किया। इसी अदालती कार्रवाई की एक बहस का जिक्र करते हुए स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि शास्त्रों की गवाही के लिए आँखों की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि अथर्ववेद के दशम कांड में 31वें अनुवाक्य के द्वितीय खंड पर अयोध्या से जुड़े सवाल का साफ़ जवाब लिखा है। इसमें 8 चक्र और 9 देवताओं की अयोध्या के बीच में मंडप के आकार का सोने का मंदिर बताया गया है। इसी में भगवान राम का प्राकट्य बताया गया है। स्वामी रामभद्राचार्य का दावा है कि इस गवाही के बाद उन्हें मुस्लिम जज ने उन्हें ‘डिवाइन पॉवर’ (दैवीय शक्ति) से सम्पन्न बताया था।
राममंदिर निर्माण के दौरान प्रधानमंत्री को ही बुलाए जाने के सवाल पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि वो फिलहाल भारत के प्रधानमंत्री पद पर हैं, इसलिए बुलाए गए हैं। हालाँकि, उन्होंने विरोध कर रहे लोगों को भी स्वेच्छा से आने का न्योता दिया। इसी के साथ उन्होंने अयोध्या के अलावा काशी और मथुरा को भी अदालत के माध्यम से हिन्दुओं को वापस दिलाने की माँग की। आपसी बातचीत से मथुरा-काशी वापस लेने के सवाल पर उन्होंने कहा, “ये मानेंगे नहीं।”
विपक्ष के सनातन विरोधी बयानों पर स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा, “विनाश काले विपरीत बुद्धि। इतिहास साक्षी है कि सनातन धर्म को जो मिटाने आए वो खुद ही मिट गए।” इस दौरान उन्होंने मोहम्मद गोरी, महमूद गजनवी, चंगेज खान, शेरशाह सूरी, बाबर, औरंगजेब और अंग्रेजों के उदाहरण दिए। रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने की माँग करते हुए इसे राष्ट्र को राममय बनाने के लिए लोगों से अपील भी की।
रामभद्राचार्य ने देशवासियों को दिए गए अपने संदेश में राष्ट्र को देवता मानने की अपील की। भगवान राम के भी भारत माता की गोद में खेले जाने की दलील देते हुए उन्होंने बताया कि प्रथम प्रणाम भारत माँ को किया जाना चाहिए। भारत माता की जय के नारों से कतराने वालों को जगद्गुरु ने राष्ट्रद्रोही बताया। मुसलमानों को डराए जाने के आरोपों को झूठा बताते हुए स्वामी ने बताया कि सनातन डराता नहीं बल्कि सुरक्षा का भाव देता है।