अमेरिकी सरकार के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल पूर्वानुमान के आंकड़ों से पता चलता है कि दुनिया ने सोमवार (3 जुलाई) को एक और गंभीर मील का पत्थर पार कर लिया. दरअसल इस दिन औसत वैश्विक तापमान 17.01 डिग्री सेल्सियस (62.62 फ़ारेनहाइट) तक पहुंच गया, जो अगस्त 2016 में दर्ज किए गए पिछले अधिकतम 16.92 डिग्री सेल्सियस (62.46फारेनहाइट) से अधिक था.
ग्रांथम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज एंड द एनवायरनमेंट में जलवायु विज्ञान के वरिष्ठ व्याख्याता फ्रेडरिक ओटो ने एक ईमेल बयान में कहा, ‘यह कोई ऐसा मील का पत्थर नहीं है जिसका हमें जश्न मनाना चाहिए, यह लोगों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए मौत की सजा है. और चिंता की बात यह है कि यह लंबे समय तक सबसे गर्म दिन नहीं रहेगा.’
Monday recorded as hottest day on earth, says US climate data
Read @ANI Story | https://t.co/cqLYYIiuKt#Climate #Earth #Temperature #US pic.twitter.com/1hRU4PowET
— ANI Digital (@ani_digital) July 5, 2023
आंकड़ों से पता चलता है कि नया तापमान रिकॉर्ड 1979-2000 के बीच वर्ष के औसत से लगभग 0.8 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म था. विशेषज्ञों ने तापमान में वृद्धि के लिए जलवायु संकट को जिम्मेदार ठहराया है, जो अल नीनो मौसम पैटर्न के साथ संयुक्त रूप से जीवाश्म ईंधन के जलने और अन्य मानवीय गतिविधियों के कारण हुआ है.
ओटो ने कहा, ‘अल नीनो विकसित होने की वजह से, आने वाले महीनों में दुनिया संभवतः इस रिकॉर्ड को फिर से तोड़ देगी. हमें जीवाश्म ईंधन जलाना बिल्कुल बंद करने की जरूरत है.’
स्ट्राइप के जलवायु अनुसंधान प्रमुख और बर्कले अर्थ के अनुसंधान वैज्ञानिक ज़ेके हॉसफादर ने एक बयान में कहा कि जून के उच्चतम तापमान के बाद, जुलाई रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म होने की राह पर है. उन्होंने कहा, ‘जून बड़े अंतर से अब तक का सबसे गर्म जून दर्ज किया गया था और जुलाई भी रिकॉर्ड स्तर पर सबसे गर्म जुलाई होने की राह पर है. वर्ष के पहले छह महीनों के आधार पर, यह संभावना बढ़ती जा रही है कि 2023 समग्र रूप से सबसे गर्म वर्ष के रूप में समाप्त होगा.’