पाकिस्तान में अहमदियों के साथ दोयम दर्जे का बर्ताव किया जाता है। वहां उन्हें मुस्लिम नहीं माना जाता। कट्टरपंथी सुन्नी उनकी मस्जिदों और कब्रों को आए दिन तोड़ देते हैं। उन्हें काफिर कहा जाता है। भारत में भी कट्टरपंथी मुस्लिम यही करने की कोशिश कर रहे हैं? पिछले दिनों आंध्र प्रदेश के वक्फ बोर्ड ने अहमदिया समुदाय के विरुद्ध घृणा फैलाने वाला एक प्रस्ताव पारित किया, जिसकी भारत सरकार ने भर्त्सना की है। वहीं अब जमीयत ने भी अहमदिया को मुसलमान मानने से मना कर दिया। मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें कादियान या अहमदिया को मुसलमान मानने से इंकार कर दिया गया।
जमीयत की ओर से कहा गया कि इस्लाम दो मौलिक मान्यताओं पर आधारित है- तौहीद, अल्लाह की एकता की पुष्टि और पैगंबर मोहम्मद अल्लाह के अंतिम दूत हैं। मिर्जा गुलाम अहमद कादियानी ने इस्लामी मान्यताओं के विपरीत रुख अपनाया और पैगंबर की अवधारणा को चुनौती दी।
इससे पहले आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड के प्रस्ताव में कहा गया कि अहमदिया ‘काफिर’ और ‘गैर मुस्लिम’ होते हैं। आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने इससे पहले वर्ष 2012 में भी प्रस्ताव पारित कर अहमदिया को मुसलमान मानने से इंकार किया था। उस समय यह मामला हाई कोर्ट में गया और हाई कोर्ट ने इस प्रस्ताव को अंतिम रूप से निलंबित करने का आदेश सुनाया। इसके बाद आंध्र प्रदेश वक्फ बोर्ड ने इस साल फरवरी में दूसरी बार ऐसा प्रस्ताव पारित किया है। इसमें कहा गया कि 26 मई 2009 के आंध्र प्रदेश के जमायतुल उलेमा के फतवे के अनुसार कादियानी समुदाय को काफिर घोषित किया जाता है। इस संबंध में गत दिनों भारत के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय को एक शिकायत प्राप्त हुई। इस पर मंत्रालय ने वक्फ बोर्ड को कड़ी फटकार लगाई। मंत्रालय ने कहा कि किसी समुदाय को इस्लाम से बाहर करने का फतवा जारी करने अधिकार राज्य के वक्फ बोर्ड के पास नहीं है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने यह भी कहा कि इस तरह का प्रस्ताव नफरत फैलाने जैसा है। इससे पूरे देश पर असर पड़ सकता है।
अब अहमदिया मुसलमानों को लेकर जमीयत ने भी प्रस्ताव पारित किया है। अहमदिया या कादियान को मुसलमान मानने से इंकार किया है।