उत्तर प्रदेश में खरीफ फसलों के अधिकतम उत्पादन को सुनिश्चित करने और समय पर बोआई के लिए किसानों को समुचित सहायता उपलब्ध कराने हेतु राज्य सरकार द्वारा व्यापक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही के नेतृत्व में विभिन्न केंद्रीय और राज्य योजनाओं के अंतर्गत बड़ी धनराशि स्वीकृत की गई है। इनमें राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत ₹16,290.00 लाख, नेशनल फूड सिक्योरिटी एण्ड न्यूट्रिशन मिशन के अंतर्गत ₹10,276.92 लाख और कृषोन्नति योजना हेतु ₹14,500.20 लाख की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई है। इन योजनाओं का उद्देश्य समय पर कृषि निवेश जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशक इत्यादि की व्यवस्था करना और किसानों के बीच नवीन कृषि तकनीकों का प्रचार-प्रसार करना है, जिससे उनकी उपज और आय दोनों में वृद्धि हो सके।
प्रदेश के 75 जनपदों में चलाए जा रहे इस महाअभियान के तहत अब तक लगभग 4,725 स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित हो चुके हैं, जिनमें बुधवार को छठवें दिन तक 8,10,000 से अधिक किसानों की सक्रिय भागीदारी रही। इस व्यापक जन-संपर्क और जागरूकता अभियान के संचालन के लिए कृषि निदेशक द्वारा प्रदेश के 38 वरिष्ठ अधिकारियों को विभिन्न जनपदों में नामित कर यह निर्देश दिया गया है कि वे जनपदीय स्तर पर गठित टीमों को तकनीकी मार्गदर्शन और प्रशासनिक सहयोग प्रदान करें।
इस अभियान को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 29 मई को लखनऊ स्थित लोकभवन से ‘कृषि संकल्प अभियान 2025’ का शुभारंभ किया। यह अभियान 12 जून तक संचालित किया जाएगा। इसका उद्देश्य किसानों की आय को दोगुना करने की दिशा में एक ठोस कदम उठाना है। इस दौरान “लैब टू लैण्ड” यानी प्रयोगशाला से खेत तक की अवधारणा को साकार किया जा रहा है, जिसके तहत कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों द्वारा अपने शोध और तकनीकों को सीधे किसानों तक पहुँचाया जा रहा है।
कृषि विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश में कुल 10,125 कार्यक्रमों के माध्यम से 50 लाख किसानों को जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही, देशभर में इस अभियान के अंतर्गत 1.5 करोड़ किसानों तक पहुंचने का राष्ट्रीय लक्ष्य भी तय किया गया है। प्रदेश के प्रत्येक जनपद में औसतन 135 स्थानों पर ‘कृषक-वैज्ञानिक संवाद’ का आयोजन किया जाएगा, जिसमें कृषि वैज्ञानिक, कृषि और सहवर्ती विभागों के अधिकारी किसानों को कृषि योजनाओं, नई खेती पद्धतियों, उन्नत बीज, सिंचाई तकनीकों, जैविक खेती और सरकार द्वारा चलाई जा रही लाभकारी योजनाओं की जानकारी देंगे। इन संवाद कार्यक्रमों में किसानों की समस्याओं को भी सुना जा रहा है और स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्रों की सहायता से समाधान सुझाए जा रहे हैं।
यह संपूर्ण अभियान न केवल कृषि उत्पादकता और किसानों की आय में वृद्धि का माध्यम बनेगा, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक सशक्त पहल भी सिद्ध होगा। इस तरह उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा योजनाबद्ध, वैज्ञानिक और सहभागी प्रयास किए जा रहे हैं।