कोई गुरु यदि बच्चों को शिक्षित करने का संकल्प ही ले ले तो दुनिया की कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के झांसी में देखने को मिला है. यहां एक बच्ची का पढ़ाई में मन नहीं लगता था, वह स्कूल जाने से भी कतराती थी. उसके परिजन भी उसे स्कूल भेजने को लेकर उत्साहित नहीं थे. इसकी खबर स्कूल टीचर को मिली तो उन्होंने भी ठान लिया कि इस बच्ची को शिक्षित करना ही है. फिर क्या था, वह स्कूल में पढ़ने वाले सभी बच्चों को साथ लिए और उस बच्ची के घर के बाहर ही अपनी पाठशाला लगा ली.
अब इस बच्ची के पास कोई बहाना नहीं बचा कि वह स्कूल जाने से मना करे. शिक्षक की इस पहल का जिले के डीएम ने स्वागत किया है और शिक्षक की सराहना की है. आज अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस है. ऐसे में यह लाजमी है कि इस शिक्षक की कहानी भी सबको बताई जाए. यह ऐसी कहानी है जिसमें बच्चा स्कूल नहीं आ रहा था शिक्षक ने स्कूल ही बच्चे के घर पहुंचा दिया. यह कहानी झांसी के लकारा गांव के प्राइमरी स्कूल में तैनात शिक्षक अमित वर्मा की है. दरसअल इस स्कूल में पढ़ने वाली एक छात्रा मीना एक महीने से स्कूल नहीं आ रही थी.
अमित वर्मा ने खूब प्रयास किया, लेकिन हर बार वह कोई ना कोई बहाना बना देती. उसके परिवार के लोग भी इसे पढ़ाना नहीं चाहते थे. लेकिन अमित वर्मा ने भी ठान ही लिया था. उन्होंने एक दिन स्कूल में सभी बच्चों को एकत्र किया और उन्हें लेकर मीना के घर पहुंच गए. उन्होंने वहीं घर के बाहर स्कूल लगाई और पढ़ाना शुरू कर दिया. मजबूरी में मीना को भी घर से बाहर निकल कर इस क्लास में बैठना पड़ा. इस दौरान अमित वर्मा ने बच्चों के साथ ही गांव के लोगों को भी शिक्षा का महत्व समझाया.
उन्हें बताया कि खाना भले ही एक दिन छोड़ दें, लेकिन बच्चों का स्कूल नहीं छूटना चाहिए. उसके बाद से गांव के सभी बच्चे अब नियमित स्कूल आने लगे हैं. यह खबर जैसे ही विभिन्न माध्यमों से जिलाधिकारी को मिली, उन्होंने टीचर अमित वर्मा के प्रयास की सराहना की है. उन्होंने बताया कि सरकार का प्रयास है कि हर बच्चा शिक्षित हो. इसके लिए कई योजनाएं भी चलाई जा रही हैं. लेकिन आज भी कई लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं. उन्होंने अन्य शिक्षकों और नागरिकों से टीचर अमित वर्मा से प्रेरणा लेने की अपील की.