भारत और अमेरिका के बीच हाल के महीनों में उत्पन्न हुई असहजता अब दूर होती दिखाई दे रही है, और इसके पीछे मुख्य भूमिका निभाई है भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने। जयशंकर की रणनीतिक बातचीतों और सक्रिय कूटनीति के चलते दोनों देशों के बीच अगले 10 वर्षों के लिए सहयोग के एक व्यापक फ्रेमवर्क पर सहमति बनी है। इसी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी ऐलान किया है कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द ही अंतिम रूप ले लेगा, और दोनों देश आयात शुल्कों में कटौती को तैयार हैं।
जयशंकर और अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ के बीच हुई बैठक में रक्षा क्षेत्र में सहयोग को और मजबूत करने पर बातचीत हुई, जिसमें हथियारों की बिक्री, रणनीतिक साझेदारी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों से मिलकर निपटने की प्रतिबद्धता जताई गई। इस दौरान भारत की ओर से छह अतिरिक्त P-8I समुद्री निगरानी विमान, जेवेलिन एंटी-गाइडेड मिसाइल और थलसेना के लिए स्ट्राइकर युद्धक वाहन की खरीद पर चर्चा हुई।
जयशंकर ने वाशिंगटन में अपने दौरे के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रोबियो, रक्षा मंत्री हेगसेथ और ऊर्जा मंत्री क्रिस राइट से भी मुलाकात की। ऊर्जा मंत्री से हुई बातचीत में अमेरिका से पेट्रोलियम और गैस की खरीद बढ़ाने पर चर्चा हुई। भारत, जो पहले से ही अमेरिका के कच्चे तेल का एक बड़ा खरीदार है, अब गैस आयात भी बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
इन कूटनीतिक प्रयासों से यह स्पष्ट है कि भारत-अमेरिका संबंधों में जमी बर्फ अब पिघलने लगी है। फरवरी 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई चर्चाओं को अब ठोस रूप देने की प्रक्रिया तेज हो गई है। उम्मीद की जा रही है कि इसी महीने होने वाले द्विपक्षीय निवेश समझौते (BIT) में भारत द्वारा अमेरिकी पेट्रोलियम उत्पादों पर आयात शुल्क में कटौती की घोषणा भी की जा सकती है।
इस सबका कुल मिलाकर अर्थ यह है कि भारत-अमेरिका संबंध एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं, जहां रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने की तैयारी है।
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