मुंबई में एक दवा की दुकान चलाने वाले धीरेन नलिनकांत शाह, गिरगांव के जेठाभाई गोविंदजी बिल्डिंग में रहते थे. शनिवार रात 9 बजे के आसपास उनकी बिल्डिंग में भीषण आग लग गई लेकिन वह अपनी 80 वर्षीय मां नलिनी को छोड़ कर नहीं गए. हादसे में दोनों की मौत हो गई.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक धीरेन (60) के परिवार के बाकी लोग आग लगते ही इमारत से बाहर निकल गए लेकिन शाह ने हाल ही में अस्पताल से घर आई अपनी मां के साथ रहने का फैसला किया.
धीरेन का घर तीसरी मंजिल पर था. फायर ब्रिगेड को ग्राउंड फ्लोर पर बिजली के बक्से में शॉर्ट सर्किट होने का शक, जो आग लगने का संभावित कारण हो सकता है. बिल्डिंग की पुरानी लकड़ी की सीढ़ियों की वजह से आग तेजी से फैली. रिपोर्ट के मुताबिक इमारत करीब एक सदी पुरानी थी.
जब तक आग पर काबू पाया गया तब तक…
एक फायर ऑफिसर ने कहा, ‘बचाव के लिए आग लगी इमारत को बगल की ऊंची इमारत से जोड़ने के लिए एक तख्ते का इस्तेमाल किया गया, लेकिन धीरेन आने से झिझक रहा था क्योंकि उसकी मां को अकेला छोड़ना कोई विकल्प नहीं था. जब तक हमारी टीमों ने आग पर काबू पाया, तब तक आग उनके घर तक पहुंच चुकी थी.’
आग की लपटें तेजी से फैलने के कारण मैंगलोर टाइल की छत वाले तीन मंजिला लकड़ी के स्ट्रक्चर को काफी नुकासन पहुंचा.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक एक निवासी सैलोम शाह ने कहा कि लोगों को बाहर निकलने के लिए घरों की ग्रिल तोड़नी पड़ी क्योंकि इमारत का एग्जिट गेट आग की लपटों में घिरा हुआ था. शाह ने कहा, ‘एग्जिट का एकमात्र रास्ता खिड़कियों से था.’ रविवार तड़के करीब 3.35 बजे आग पर काबू पाया गया.
बाद में सुबह में, निवासियों को अपने घर खाली करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि बिजली की अनुपस्थिति और बड़े पैमाने पर आग से संबंधित मलबे के कारण इमारत रहने लायक नहीं रह गई थी.