उत्तर प्रदेश के संभल का मस्जिद जो आज इस्लामी कट्टरपंथियों की हिंसा के लिए सुर्खियों में आया है वही मस्जिद 46 साल पहले एक हिंदू परिवार के नरसंहार मामले में केंद्र में था। उस समय अफवाह उड़ाई गई थी कि हिंदू ने इमाम को मार डाला और साधु मस्जिद में पूजा कर रहे हैं। इसी अफवाह के बाद हिंसा भड़की और नरसंहार को अंजाम दिया गया।
उन्होंने उस हिंदू परिवार के पीड़ितों से बात करके एक्स (ट्विटर) पर किए एक पोस्ट में बताया कि आखिर कैसे उस दिन मुस्लिम लीग के नेता मंजर शफी के समर्थकों ने अपना आतंक मचाया था। उस घटना में कुल 25 लोग मारे गए थे जिनमें से 23 हिंदू ही थे।
The mill, an ahaata spread over 4 beegha in Nakhasa Bazaar, belonged to Banwari Lal Goel, an affluent, well-respected man in Sambhal
He was known for his fairness and even Muslim families sought his help to resolve disputes, locals recall. He was also Sambhal president of VHP pic.twitter.com/tberDk6UV1
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 1, 2024
1978 में संभल के मस्जिद के नजदीक नक्शा बाजार के पास एक आटा मिल थी जोकि 4 बीघा में फैली हुई थी। ये मिल बनवारी लाल गोयल की थी और बनवारी संभल के प्रतिष्ठित लोगों में से एक थे। स्थानीय लोग उन्हें उनके न्यायपरक फैसलों के लिए न केवल जानते थे बल्कि अपने विवादों को सुलझाने के लिए भी वह उनके पास आते थे।
इन स्थानीयों में तमाम मुस्लिम भी होते थे। सबको पता था कि बनवारी लाल संभल से विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष थे। बावजूद इसके न मुस्लिम उनसे मदद माँगने में परहेज करता था न कोई और… लेकिन 29 मार्च 1978 को जब संभल में हिंसा भड़की तो दंगाइयों को ये याद तक नहीं आया कि बनवारी लाल के कितने उपकार हैं।
Violence engulfed Sambhal, starting around 10 am. Two hours later, they targeted the mill compound
A tractor was used for repeatedly crashing into the mill’s front wall until it collapsed. Rioters then threw burning tyres inside and allowed no one to escape
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 1, 2024
उस दिन बनवारी लाल अपने कंपाउंड में ही थे। हिंसा देख उनके कर्मचारी और रिश्तेदार सब वही छिपे थे। सबको लगा था कि शायद बनवारी लाल की जान-पहचान के कारण इस हिंसा में उनके साथ भी कुछ न हो। मगर, वह सब गलत थे। उस दिन हिंसा सुबह करीबन 10 बजे मुस्लिम इलाके से भड़की और 2 घंटे में ही दंगाइयों ने मिल कंपाउंड को निशाना बना लिया।
उस कंपाउंड तक पहुँचने के लिए पहले ट्रैक्टर से मिल की दीवारें गिराईं गई और उसके बाद जलते टायर भीतर फेंके गए ताकि को बच न पाए। पत्रकार के मुताबिक उस हिंसा में 25 लोग मरे, जिनमें से 23 हिंदू थे और 14 की जिंदा जलकर मौत हुई थी। उस घटना में बनवारी लाल भी राख हो गए थे।
6 घंटे बाद जब उनके बेटे विनीत और नवनीत (घटना के समय 18 और 16 साल के थे) कंपाउंड में घुसे तो सिर्फ राख बची थी। बाकी सब खाक था। आग ऐसी लगाई गई थी कि भीतर किसी का कोई शव भी नहीं मिला। बहुत ढूँढने पर पिता की चश्मा मिला जिससे समझ आया कि अब वो इस दुनिया में नहीं रहे।
Vineet Goel (in pic) tells me: “Everything was burnt. Tyres were still smoldering. No bodies were found. Everything had turned to ash. After searching, we found part of my father’s glasses. That confirmed his death.”
Only one, Hardwari Lal, survived. He had hidden inside a drum pic.twitter.com/99UnbWUmXY
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 1, 2024
की गई पड़ताल से पता चलता है कि उस समय एक हरदवारी लाल ही थे जो उन आग की लपटों से बचे थे। वो भी इसलिए क्योंकि उन्होंने खुद को ड्रम में छिपाया हुआ था। उन्होंने उस दिन अपनी आँख के आगे सब कुछ बर्बाद होते देखा था।
इस घटना के बाद बनवारी लाल के तीनों बेटे नवनीत, विनीत और सुनीत 1993 तक संभल में रहे। बाद में मिल का ज्यादातर हिस्सा बेचकर दिल्ली आ गए और पिपरमिंट का बिजनेस शुरू किया। अब उस मिल का छोटा हिस्सा ही उनका हैं जहाँ दशकों से राम लीला जैसे कार्यक्रम होते हैं।
The family stayed in Sambhal till 1993 as they got a lot of support from their community. Sambhal after that was under constant security patrolling
Like many Hindus of Sambhal, Vineet Goel blames the then DM Farhat Ali for siding with rioters and not saving Hindu community
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 1, 2024
आज तीनों भाई उस घटना में हिंदुओं के मारे जाने के पीछे तत्कालीन जिलाधिकारी फरहत अली को दोषी मानते हैं। ट्वीट में विनीत गोयल के हवाले से कहा गया कि फरहत ने तब दंगाइयों का समर्थन किया था और हिंदुओं की रक्षा तक नहीं की थी। इसके अलावा वो ये भी बताते हैं कि घटना के बाद तीनों भाइयों से कुछ लोग मिले थे जिन्होंने बताया था कि इस घटना के पीछे उन लोगों का हाथ था जो उनके पिता के साथ बिजनेस में साथी थे। इसी बात को जानने के बाद तीनों भाइयों ने भविष्य में कभी दूसरे समुदाय के लोगों के साथ व्यापार नहीं किया।
गौरतलब है कि स्वाति गोयल शर्मा ने अपने ट्वीट में बताया है कि इस हिंसा का जिक्र मीडिया में शायद न के बराबर मिले। मगर Mob violence in india जैसी किताबों में उस हिंसा का जिक्र पढ़ने को मिलता है।