उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक पुलिसकर्मी की शहादत ने प्रशासन और कानून व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। हिस्ट्रीशीटर बदमाश कादिर उर्फ मंटा को पकड़ने गई टीम पर गैंगस्टर साथियों द्वारा किए गए हमले में एक कॉन्स्टेबल सौरभ की गोली लगने से मौके पर ही मृत्यु हो गई।
घटना का पूरा विवरण:
स्थान:
- नाहल गांव, थाना मसूरी क्षेत्र, जिला गाजियाबाद
- पुलिस टीम: नोएडा फेज-3 थाना की थी
घटनाक्रम:
- पुलिस हिस्ट्रीशीटर कादिर उर्फ मंटा को गिरफ्तार करने गई थी
- कादिर को पकड़ लिया गया था, लेकिन जब टीम वापस लौट रही थी, तभी
- 8–10 बदमाशों ने पुलिस टीम पर हमला कर दिया —
- पत्थरबाजी और
- गोलीबारी शुरू कर दी
- बदमाश कादिर को छुड़ा ले गए
- इस हमले में कॉन्स्टेबल सौरभ के सिर में गोली लगी, मौके पर ही शहादत हो गई
अब तक की कार्रवाई:
- 15 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है
- मुख्य आरोपी कादिर की तलाश अभी भी जारी है
- गाजियाबाद पुलिस और एसटीएफ संयुक्त अभियान चला रही है
- ग्रामीणों और चश्मदीदों से पूछताछ, सीसीटीवी, मोबाइल लोकेशन के जरिए अन्य आरोपियों की पहचान हो रही है
कॉन्स्टेबल सौरभ का बलिदान:
- जिला: शामली
- गांव: कन्नू खेड़ा
- शहादत की खबर मिलते ही गांव में शोक की लहर फैल गई
- नोएडा पुलिस कमिश्नर द्वारा ₹75 लाख 16 हजार की आर्थिक सहायता घोषित की गई है
- अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया गया
बदमाश कादिर उर्फ मंटा का आपराधिक इतिहास:
- मुजफ्फरनगर में पुलिस मुठभेड़ (2024): पैर में गोली लगी थी
- हत्या, लूट, हत्या की कोशिश, गैंगस्टर एक्ट के तहत कई मुकदमे
- जेल भी गया लेकिन फिर से सक्रिय हो गया
राजनीतिक और प्रशासनिक प्रतिक्रिया:
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले का संज्ञान लिया है
- दोषियों के खिलाफ एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) और गैंगस्टर एक्ट लगाने की तैयारी
- गाजियाबाद और नोएडा ज़ोन में पुलिस अलर्ट मोड पर
- SP, IG और STF की टीम पूरे प्रकरण की निगरानी कर रही है
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
- यह घटना दर्शाती है कि अपराधी न केवल संगठित हैं, बल्कि पुलिस पर खुला हमला करने से नहीं डरते
- सौरभ जैसे जवानों की शहादत यह सवाल उठाती है कि क्या पुलिस को और अधिक संरक्षण, संसाधन और सशक्त अधिकार मिलने चाहिए?
- यह मामला कानून-व्यवस्था और पुलिस तंत्र को कड़े फैसलों की ओर संकेत करता है