उत्तर प्रदेश सरकार, विशेष रूप से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में, नेपाल सीमा से सटे जिलों में चल रहे अवैध धार्मिक निर्माणों और अतिक्रमणों के खिलाफ एक बड़े अभियान को अंजाम दे रही है। यह कार्रवाई मुख्यतः मदरसे, मस्जिदें, मजारें और ईदगाह जैसे ढाँचों पर केंद्रित है जो गैरकानूनी तरीके से सरकारी या वन भूमि पर बनाए गए थे।
कार्रवाई की प्रमुख बातें:
🔷 7 सीमावर्ती जिले:
- महाराजगंज
- सिद्धार्थनगर
- बलरामपुर
- श्रावस्ती
- बहराइच
- लखीमपुर खीरी
- पीलीभीत
🔷 कुल कार्रवाई:
- 225 अवैध मदरसे हटाए गए
- 30 अवैध मस्जिदें
- 25 मजारें
- 6 ईदगाह ध्वस्त
जिलावार विवरण (14 मई 2025 तक की रिपोर्टिंग के अनुसार):
जिला | मदरसे | मस्जिद | मजार | ईदगाह |
---|---|---|---|---|
महाराजगंज | 29 | 9 | 7 | 1 |
सिद्धार्थनगर | 35 | 9 | – | – |
बलरामपुर | 30 | – | 10 | 1 |
श्रावस्ती | 110 | 1 | 5 | 2 |
बहराइच | 13 | 8 | 2 | 1 |
लखीमपुर खीरी | 8 | 2 | 1 | 1 |
पीलीभीत | – | 1 | – | – |
सरकार की मंशा और तर्क:
- ये कार्रवाई अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए की गई है।
- सरकारी और वन भूमि को मुक्त कराने का प्रयास है।
- सीमा सुरक्षा को सुदृढ़ करना भी एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है, ताकि सीमावर्ती क्षेत्रों में डेमोग्राफिक असंतुलन और संभावित खतरे रोके जा सकें।
- भूमि उपयोग कानून और स्थानीय प्रशासनिक नियमों के अनुसार यह कदम उठाया गया है।
पृष्ठभूमि:
- अप्रैल 2025 में भी ऐसा एक बड़ा अभियान चलाया गया था, जिसमें 17 मदरसे सील किए गए और 89 अवैध निर्माण ढहाए गए।
- कई मीडिया रिपोर्ट्स में नेपाल बॉर्डर से सटे यूपी जिलों में “लैंड जिहाद” और डेमोग्राफिक बदलाव की आशंकाओं को विस्तार से रिपोर्ट किया गया था।
यह अभियान न केवल अवैध निर्माणों के खिलाफ कार्रवाई का प्रतीक है, बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा और प्रशासनिक नियंत्रण को मजबूत करने की नीति का भी हिस्सा है। इस प्रकार की कार्रवाइयाँ आने वाले समय में और तेज़ हो सकती हैं, विशेषकर उन इलाकों में जहाँ गैरकानूनी ढाँचों के ज़रिए जनसंख्या संतुलन बदलने की कोशिशें की जा रही हैं — यह योगी सरकार का स्पष्ट संदेश है।