प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में अब तक 6.25 करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में डुबकी लगा चुके हैं। यह मेला 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित किया जा रहा है और हर 12 साल में होता है। इसके दौरान श्रद्धालु गंगा, यमुना और सरस्वती के पवित्र संगम में स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं।
मुख्य आंकड़े और विशेषताएँ:
- अब तक का आँकड़ा:
- मकर संक्रांति (15 जनवरी) के दिन 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई।
- चार दिनों में कुल 6.25 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर चुके हैं।
- इस बार 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है।
- अमृत स्नान की तिथियाँ:
- पहली तिथि: मकर संक्रांति (15 जनवरी)।
- दूसरी तिथि: 28-29 जनवरी।
- तीसरी तिथि: 3 फरवरी (बसंत पंचमी)।
- खगोलीय महत्व:
- इस महाकुंभ पर सूर्य, चंद्रमा, शनि और बृहस्पति की विशेष शुभ स्थिति बन रही है, जिसे समुद्र मंथन का शुभ संयोग कहा जाता है।
- साथ ही, पूर्णिमा, रवि योग और भद्रावास योग का विशेष महत्व रहेगा।
ठंड में भी उत्साह बरकरार:
कड़ाके की ठंड के बावजूद, श्रद्धालुओं का उत्साह देखने लायक है। पहली बार मेले में आए कई श्रद्धालुओं ने इसे अद्भुत अनुभव बताया। पवित्र गंगा में स्नान करने के बाद लोग मानसिक और आध्यात्मिक शांति महसूस कर रहे हैं।
प्रशासन की तैयारियाँ:
मेले की विशालता को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं के लिए विशेष प्रबंध किए हैं:
- व्यवस्थाओं की तारीफ: श्रद्धालुओं ने प्रशासन की व्यवस्थाओं को सराहा है।
- सुविधाएँ: पवित्र स्नान के लिए घाटों की सफाई, ट्रैफिक प्रबंधन, चिकित्सा सेवाएँ और टेंट सिटी की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
महाकुंभ का महत्व:
महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक आयोजन है। हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में इसका आयोजन बारी-बारी से होता है। यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।
आगामी अमृत स्नान की तिथियों पर श्रद्धालुओं की संख्या में और अधिक वृद्धि होने की संभावना है।