संभल में पुलिस का यह कदम एक सख्त और प्रतीकात्मक जवाब है, जिससे यह संदेश जाता है कि दंगाइयों की हिंसा का जवाब अब कानून व्यवस्था को और मजबूत करके दिया जाएगा।
संभल हिंसा: पुलिस चौकी निर्माण और कड़ी कार्रवाई
📍 स्थान: संभल, उत्तर प्रदेश
📅 घटना: 24 नवंबर 2024 को शाही जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हिंसा
🔹 दंगाइयों ने पुलिस पर पत्थर फेंके, गाड़ियों को जलाया और फायरिंग की
🔹 4 लोगों की मौत हुई, पुलिस ने सख्त कार्रवाई शुरू की
पुलिस का जवाब: दंगाइयों के पत्थरों से ही पुलिस चौकी निर्माण
✅ 38 नई पुलिस चौकियाँ बन रही हैं, इनमें से कई उन इलाकों में हैं, जहाँ दंगाइयों ने हिंसा की थी।
✅ ‘सेफ संभल’ प्रोजेक्ट: ₹3 करोड़ की लागत से चेहरा पहचानने वाले 600 कैमरे लगाए जा चुके हैं।
✅ विवादित शाही जामा मस्जिद और अपराध प्रभावित दीपासराय में पहले ही चौकियाँ स्थापित की गई हैं।
🗣 संभल के एसपी कृष्ण कुमार का बयान:
👉 “दंगाइयों द्वारा फेंके गए पत्थरों का उपयोग कर चौकियों की नींव रखी जा रही है।”
👉 “शासन से मिले बजट से पुलिस चौकियों का निर्माण किया जा रहा है।”
कोर्ट में दंगाइयों को राहत नहीं
📌 5 मार्च 2025: 14 दंगाइयों ने जमानत के लिए अर्जी लगाई।
🔹 10 की जमानत याचिका खारिज
🔹 4 मामलों की तारीख आगे बढ़ी
🔹 नाम शामिल: आमिद, अंसार, मुन्ना, सज्जू, दिलनवाज, मुस्तफा समेत 10 दंगाई।
पुलिस की सख्त कार्रवाई:
✔️ 74 दंगाइयों की पहचान के लिए पोस्टर जारी
✔️ 3 दंगाइयों के नाम-पते मिल चुके हैं, जल्द गिरफ्तारी होगी
✔️ एक दाढ़ी वाले व्यक्ति की तलाश जारी, जो हिंसा भड़का रहा था।
क्या यह सही कदम है?
✅ सख्त संदेश: पत्थरों से पुलिस चौकी बनाने से अपराधियों को साफ संदेश मिलेगा कि हिंसा के हथियार कानून के लिए ढाल बनेंगे।
✅ सुरक्षा व्यवस्था मजबूत: हाई-टेक कैमरे और पुलिस चौकियाँ दंगाइयों पर सख्त निगरानी रखेंगी।
✅ कानूनी कार्रवाई: जमानत याचिका खारिज होने से यह स्पष्ट है कि कानून अब उपद्रवियों के साथ सख्ती से निपटेगा।